Telangana Assembly Election: तेलंगाना से लोकसभा की राह तैयार कर रही पार्टियां ओवैसी के बहाने खुद को देशभर के मुस्लिम और हिंदुओं की हितैषी बता रही हैं। तेलंगाना में मुस्लिम वोट बैंक पर लंबे वक्त से ओवैसी परिवार का दबदबा रहा है… हैदराबाद की 10 सीटों में से 7 सीटों पर तो असदुद्दीन ओवैसी का जबरदस्त प्रभाव है… तेलंगाना में मुस्लिम आबादी कुल जनसंख्या की करीब 13 फीसदी है लेकिन आदिलाबाद शहर की तरह राजधानी हैदराबाद समेत कई इलाके ऐसे हैं जहां मुस्लिम 30 से 50 फीसदी तक हैं। कांग्रेस और बीआरएस मुस्लिम वोट बैंक पर नजर गड़ाए बैठी हैं तो ओवैसी को अपने वोट बैंक में सेंध मारी का डर सता रहा है। दूसरी तरफ बीजेपी अपने हिंदुत्व के एजेंडे पर बरकरार है। यही वजह है कि बीजेपी ने तेलंगाना में चार फीसदी मुस्लिम आरक्षण को खत्म करने के साथ साथ हैदराबाद का नाम तक बदल देने की बड़ी बात तक कह डाली।
तेलंगाना में मुस्लिम वोट बैंक
– तकरीबन साढ़े तीन करोड़ आबादी वाले तेलंगाना राज्य में 13 फीसदी आबादी मुस्लिम है
– राज्य की 119 विधानसभा सीटों में एक तिहाई से ज्यादा सीटें मुस्लिम हैं
– यानी तेलंगाना की करीब 46 सीटों पर मुस्लिम मतदाता हार जीत का फैसला करते हैं
– राज्य की 16 सीटों पर औसतन 14 फीसदी मतदाता मुसलमान हैं।
‘जहां हमारे उम्मीदवार नहीं, बीआरएस को दें वोट’
तेलंगांना में ओवैसी की पार्टी कुल 9 ही सीटों पर चुनाव लड़ रही है… लेकिन असदुद्दीन ओवैसी खुद भी ये अपील कर चुके हैं कि जहां एआईएमआईएम ने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, वहां मुस्लिम मतदाता बीआरएस को वोट करें. ओवैसी की इस अपील के बाद कांग्रेस के कान खड़े हो गए… यही वजह है कि…
कांग्रेस-भाजपा की कोशिशें जारी
कांग्रेस समझ रही है कि मुस्लिम वोट बैंक को अपने पाले में करना है तो इस वर्ग में ओवैसी की पैठ कमजोर करना होगा
और कांग्रेस उसी कोशिश में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर लगातार निशाना साध रही है
कांग्रेस को उम्मीद है कि कर्नाटक की तर्ज पर अगर तेलंगाना में भी मुस्लिमों ने सपोर्ट कर दिया था तो हैदराबाद के ताज तक की राह मुश्किल नहीं होगी
वही बीजेपी भी लगातार ओवैसी पर हमलावर है और इसके पीछे की बड़ी वजह है तेलंगाना का मेजॉरिटी वोट बैंक
सूबे में 80 फीसदी से ज्यादा हिंदू आबादी हैं
और अगर इनमें से 40 फीसदी वोटर भी बीजेपी के साथ आ गए तो ये बीजेपी के लिए बड़ी उपलब्धि होगी
पश्चिम बंगाल की तरह तेलंगाना में भी बीजेपी ध्रुवीकरण के जोर पर लॉन्ग टर्म प्लान पर काम कर रही है
और बीजेपी ओवैसी पर हमलावर होकर तेंलगाना में ध्रुवीकरण की जमीन को मजबूत करने का काम कर रही है।
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2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजे
2014 के लोकसभा चुनाव में अविभाजित आंध्र प्रदेश में तेलगुदेशम पार्टी को 16… उस वक्त की टीआरएस और अब की बीआरएस को 11… जगनमोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP को 9 सीटें मिली थीं… 42 लोकसभा सीटों वाले आंध्रप्रदेश में बीजेपी को केवल 3 सीटों पर सफलता मिली थी… लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने चार सीटें जीतकर अपने दक्षिण विजय की नींव रख दी थी… मुसलमानों की सबसे बड़ी हितैशी बनने वाली पार्टी ओवैसी की पार्टी को यहां केवल एक सीट पर सफलता मिली थी…
बीजेपी को धार्मिक ध्रुवीकरण का हुआ था लाभ
2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दूसरे राज्यों की तरह तेलंगाना में भी धार्मिक ध्रुवीकरण का ही लाभ हुआ था… जिसे बीजेपी और बढ़ाने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ रही है… बीजेपी जनता को ये समझाने की कोशिश कर रही है कि प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और बीआरएस किस तरह मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए समाज का बांटने का काम कर रही हैं… और अगर बीजेपी अपने एजेंडे में कामयाब होती है तो ये बीजेपी के लिए चुनावों में बढ़त हासिल कराने वाला होगा… जिससे 2024 में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं…