TDP Chief Chandrababu Naidu Political Career : तेलुगु देशम पार्टी (TDP) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की राजनीति में इस समय पूछ-परख काफी बढ़ गई है। कारण है कि लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों बहुमत से दूर हैं। हालांकि एनडीए को बहुमत मिल रहा है लेकिन स्थिति थोड़ी गड़बड़ है। इस समय एनडीए चंद्रबाबू को साधने में लगी है ताकि उन्हें एनडीए में शामिल किया जा सके। टीडीपी को आंध्र प्रदेश में 16 सीटें मिली हैं और प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं बीजेपी को 240 सीटें (NDA को 292) और कांग्रेस को 99 सीटें (INDIA को 234) मिली हैं। ऐसे में एनडीए चंद्रबाबू को अपने पाले में लेकर अपनी स्थिति और मजबूत करना चाहती है। वैसे चंद्रबाबू नायडू का राजनीतिक सफर काफी उथल-पुथल वाला रहा है। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी ससुर की पार्टी हथियाई थी।
छात्र नेता के रूप में शुरू हुई राजनीति
अप्रैल 1950 को पैदा हुए चंद्रबाबू नायडू पीएचडी धारक हैं। उन्होंने अर्थशास्त्र से एमए किया है। इनका राजनीतिक करियर कॉलेज के दिनों से ही शुरू हो गया था। वह कॉलेज में यूथ कांग्रेस से जुड़ गए थे और उस समय संजय गांधी के काफी करीब रहे। साल 1978 में उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा और पहली बार आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। बाद में वह कई महत्वपूर्ण पदों पर मंत्री भी रहे।
TNR की बेटी से हुई शादी
साल 1981 में चंद्रबाबू नायडू की शादी प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता एनटी रामाराव (NTR) की बेटी भुवनेश्वरी से हुई। साल 1982 में एनटीआर ने तेलुगू देशम पार्टी (TDP) बनाई। अगले साल यानी 1983 के चुनाव में टीडीपी को जबरदस्त सफलता मिली। उस समय चंद्रबाबू नायडू कांग्रेस के प्रत्याशी थे और उनकी हार हुई। बाद में उन्होंने टीडीपी जॉइन कर ली। शादी के बाद टीडीपी में नायडू का कद बढ़ता गया। साल 1989 और 1994 में चंद्रबाबू नायडू चित्तूर जिले के कुप्पम विधानसभा क्षेत्र से MLA चुने गए। उन्हें वित्त और राजस्व जैसे महत्वपूर्ण विभाग मिले।
I joined the Hon’ble Prime Minister @narendramodi Ji in Varanasi today as he filed his nomination. May the country continue to prosper under his leadership. pic.twitter.com/o1WedUnKTh
---विज्ञापन---— N Chandrababu Naidu (@ncbn) May 14, 2024
ससुर की पार्टी का किया तख्तापलट
आंध्र प्रदेश की राजनीति में साल 1995 में एक भूचाल आया। चंद्रबाबू नायडू ने 1 सितंबर 1995 को बड़े ही नाटकीय अंदाज में आंध्र प्रदेश सरकार का तख्तापलट कर दिया था। उन्होंने रातों-रात अपने ससुर को मुख्यमंत्री पद से हटाकर सीएम की कुर्सी हथिया ली थी। वह पहली बार आंध्र प्रदेश के सीएम बने। इसके बाद परिवार में काफी ड्रामा हुआ। उन्होंने बाद में खुद को दुनिया के सामने हाईटेक नेता के रूप में पेश किया और पॉपुलर नेता की छवि बनाई। उस समय उनकी पहुंच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और दुनिया के सबसे अमीरों में शामिल माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के मालिक बिल गेट्स तक रही।
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कभी कांग्रेस से तो कभी बीजेपी से रही दूरी
साल 1999 के चुनाव में वह फिर से आंध्र प्रदेश के सीएम बने। इसके बाद वह तेलंगाना गठन को लेकर सरकार से बाहर रहे और 2014 में तीसरी बार मुख्यमंत्री चुने गए। हालांकि 2019 में वह जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली YSR कांग्रेस पार्टी से हार गए। चंद्रबाबू नायडू कभी बीजेपी के करीब तो कभी कांग्रेस के करीब दिखाई दिए।
- राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस के साथ की। 1987 में कांग्रेस की टिकट से पहली बार विधायक बने।
- साल 1999 में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनाने में उन्होंने काफी मदद की। वह एनडीए के साथ हो गए थे। उस समय एनडीए में टीडीपी की सीटें बीजेपी के बाद सबसे ज्यादा थीं।
- साल 2002 में गुजरात दंगों को लेकर जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कार्रवाई की बात सामने आई तो भी उन्होंने एनडीए का समर्थन जारी रखा था। हालांकि मोदी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।
- साल 2014 में जब एनडीए की सरकार बनी और मोदी पहली बार पीएम बने तब भी चंद्रबाबू नायडू ने एनडीए का समर्थन दिया था।
- साल 2018 में वह एनडीए से अलग हो गए और केंद्र सरकार के खिलाफ आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य देने की मांग को लेकर मोर्चा खेला दिया।
- इस बार जब लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को एकजुट किया जा रहा था, उस समय चंद्रबाबू नायडू मोदी के खिलाफ थे और विपक्ष के साथ आ गए थे। उन्होंने मोदी को सत्ता से उखाड़ फेंकने की मुहिम चलाई थी।
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