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तालिबान की टोयोटा हाइलक्स गाड़ियों पर नजर, कंपनी ने इसलिए किया बेचने से इंकार

Taliban News: अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन का असर हमेशा सैन्य वाहनों पर साफ दिखा है. सोवियत दौर से लेकर अमेरिकी मौजूदगी तक, अलग-अलग सरकारों ने तरह–तरह की सैन्य गाड़ियाँ इस्तेमाल कीं. अब तालिबान की अंतरिम सरकार अमेरिकी फ़ोर्ड रेंजर वाहनों से छुटकारा पाने की तैयारी कर रही है और नए मॉडल खरीदने की योजना बना रही है.

Author Written By: News24 हिंदी Updated: Nov 27, 2025 14:34
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Taliban News: अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन का असर हमेशा सैन्य वाहनों पर साफ दिखा है. सोवियत दौर से लेकर अमेरिकी मौजूदगी तक, अलग-अलग सरकारों ने तरह–तरह की सैन्य गाड़ियाँ इस्तेमाल कीं. अब तालिबान की अंतरिम सरकार अमेरिकी फ़ोर्ड रेंजर वाहनों से छुटकारा पाने की तैयारी कर रही है और नए मॉडल खरीदने की योजना बना रही है. इसी उद्देश्य से तालिबान ने जापानी कंपनी टोयोटा मोटर्स से संपर्क किया था. अफगानिस्तान में टोयोटा की आधिकारिक डीलरशिप ‘हबीब गुलजार मोटर्स’ संचालित करती है. बताया जा रहा है कि तालिबान ने उनसे वाहनों की मांग की थी. हालांकि, कंपनी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, एनजीओ और दूतावासों के अलावा किसी को भी बिक्री करने के लिए अधिकृत नहीं हैं. इसलिए तालिबान को इंकार कर दिया गया.

तालिबान ने सितंबर 2025 में किया था टोयोटा कंपनी से संपर्क

टोयोटा के निदेशक अहमद शाकिर अदील के अनुसार, तालिबान ने सितंबर 2025 में उनसे आधिकारिक रूप से संपर्क किया था. हालांकि, कंपनी के नियमों के चलते उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया. तालिबान सरकार का गृह मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि वे अमेरिकी रेंजर ट्रकों को बदलना चाहते हैं, लेकिन अभी यह तय नहीं हुआ कि उनकी जगह कौन-सी गाड़ियां ली जाएंगी. बजट को लेकर भी कोई मंज़ूरी नहीं मिली है, हालांकि पुलिस की नई वर्दी को टोयोटा हाइलक्स को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था. जिससे अंदाजा लगाया गया कि तालिबान शायद टोयोटा मॉडल अपनाना चाहता था. लेकिन कंपनी के इनकार के बाद यह संशय गहरा गया है कि तालिबान अब किस ब्रांड की ओर रुख करेगा.

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फोर्ड रेंजर मॉडल पर निर्भर रही अफगान सरकार

अमेरिकी और नाटो सेनाओं के दौरान अफगान सरकार बड़े पैमाने पर फ़ोर्ड रेंजर मॉडल पर निर्भर रही. अमेरिकी कंपनी AMS को इन गाड़ियों की मरम्मत, पार्ट्स और सर्विस का ठेका मिला था. AMS के एक पूर्व कर्मचारी के अनुसार, रेंजर वाहनों को अफगानिस्तान के कठिन भूभाग और मौसम को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया था. इन वाहनों के अधिकांश पार्ट्स थाईलैंड में बने और फिर अफगानिस्तान भेजे जाते थे. 2017 से 2021 के बीच AMS ने करीब 1.3 लाख गाड़ियों की रिपेयरिंग की थी. जो अमेरिकी सरकार द्वारा वित्तपोषित 1.2 अरब डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा था. लेकिन तालिबान के सत्ता में आने के बाद तकनीकी कर्मचारी देश छोड़कर चले गए. जिससे अब न तो उचित मरम्मत हो पा रही है और न ही स्पेयर पार्ट्स आसानी से उपलब्ध हैं.

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अमेरिकी कंपनियों से सीधे सौदा नहीं कर सकता तालिबान

अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण तालिबान अमेरिकी कंपनियों से सीधे सौदा नहीं कर सकता. इसी वजह से रेंजर गाड़ियों का रखरखाव और भी मुश्किल हो गया है. टोयोटा के मना करने के बाद यह स्पष्ट नहीं है कि तालिबान कौन-सा विकल्प चुनेगा. हालांकि बाजार में उपलब्ध सेकंड-हैंड गाड़ियों का बड़ा हिस्सा अभी भी टोयोटा का है. अफगानिस्तान में इस्तेमाल की हुई गाड़ियों का भारी आयात दुबई और ईरान के रास्ते होता है. जिनमें हाइलक्स और लैंड क्रूज़र सबसे ज़्यादा पसंद किए जाते हैं.

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First published on: Nov 27, 2025 02:34 PM

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