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IIT-IIM से की पढ़ाई, लाखों रुपये सैलरी… फिर नौकरी छोड़ बन गया साधु, कौन है यह शख्स?

Who is Swami Mukundananda in Hindi: आज हम आपको ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं, जो लाखों रुपये की सैलरी छोड़कर साधु बन गए। इन्होंने आईआईटी दिल्ली और आईआईटी कोलकाता से पढ़ाई की है।

Author Edited By : Achyut Kumar Updated: Jan 24, 2024 17:46
swami mukundananda
स्वामी मुकंदानंद

Who is Swami Mukundananda in Hindi: भारत में ऐसे कई छात्र हैं, जो इंजीनियर बनने का सपना देखते हैं। इसके लिए वे आईआईटी जेईई एग्जाम पास करते हैं। छात्रों का सपना होता है कि उन्हें आईआईआटी में दाखिला मिले, क्योंकि इसे देश के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक माना जाता है। आईआईटी से पास करने के बाद छात्रों को अक्सर भारत और विदेश में काम करने के लिए अच्छी नौकरी के ऑफर मिलते हैं। इनमें से अधिकांश छात्र इस ऑफर को एक्सेप्ट कर लेते हैं। आज हमको जिस शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, उसने इंजीनियर की नौकरी छोड़कर साधु बनने का फैसला किया।

कौन थे स्वामी मुकुंदानंद?

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दरअसल, हम स्वामी मुकुंदानंद के बारे में बात कर रहे हैं, जो एक आध्यात्मिक नेता, लेखक और विश्व प्रसिद्ध शिक्षक हैं। मुकुंदानंद का जन्म 19 दिसंबर 1960 को हुआ था। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से ग्रेजुएशन और आईआईएम कोलकाता से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। उनका मन बचपन से ध्यान और चिंतन में लगता था। यही वजह है कि उन्होंने लाखों रुपये की सैलरी छोड़कर साधु बन गए।

नौकरी छोड़ बने संन्यासी

स्वामी मुकुंदानंद को नौकरी करने के कुछ ही महीनों बाद महसूस हुआ कि यह वह जीवन नहीं है, जो वे जीना चाहते थे। इसीलिए वे नौकरी छोड़कर संन्यासी बन गए और पूरे भारत का भ्रमण किया। उन्हें जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण मिला।

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जेके योग प्रणाली की स्थापना

स्वामी मुकुंदानंद ने जगद्गुरु कृपालुजी योग नामक योग प्रणाली के स्थापना की। इसे जेके योग के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने भारत और अमेरिका में कई सत्संग केंद्र स्थापित किए। इसमें डलास का राधा कृष्ण मंदिर, बे एरिया का राधा कृष्ण मंदिर और ओडिसा का राधा कृष्ण मंदिर शामिल हैं। मुकुंदानंद ने ओडिशा के बनारा में जेके योग आश्रम, संबलपुर में श्रीराधा निकुंज बिहारी आश्रम और पुरी में पुरुषोत्तम वाटिका का भी गठन किया है। पिछले 30 सालों में उन्होंने कई महाद्वीपों की यात्रा की है।

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First published on: Jan 24, 2024 05:46 PM

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