राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ी संस्था स्वदेशी जागरण मंच ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत समेत विभिन्न देशों के उत्पादों पर उच्च पारस्परिक टैरिफ लगाए जाने के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मंच ने इसे विश्व व्यापार संगठन के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन बताया है और कहा है कि यह कदम डब्लूटीओ की संप्रभुता को नकारने की दिशा में उठाया गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने 2 अप्रैल को ऐलान किया कि अमेरिका अब विभिन्न देशों के सामान पर अलग-अलग टैरिफ लगाएगा। भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने की घोषणा की गई है, जो कि भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले उत्पादों पर भारी असर डाल सकता है।
WTO के मूल सिद्धांतों के खिलाफ
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. अश्विनी महाजन ने कहा कि यह एकतरफा निर्णय डब्लूटीओ के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने बताया कि भारत सहित अन्य देश डब्लूटीओ के तहत बाउंड टैरिफ की सीमा में रहकर ही शुल्क लगाते हैं। भारत का बाउंड टैरिफ औसतन 50.8 प्रतिशत है, जबकि वह वास्तव में मात्र 6 प्रतिशत का औसत आयात शुल्क लेता है। महाजन ने कहा कि ट्रंप की यह शिकायत कि भारत अमेरिका से आने वाले सामान पर अधिक शुल्क लगाता है, निराधार है। उन्होंने स्पष्ट किया कि डब्लूटीओ बनने से पहले अमेरिका समेत अन्य विकसित देशों ने खुद यह सहमति दी थी कि विकासशील देशों को अपने उद्योगों की सुरक्षा के लिए अधिक शुल्क लगाने की छूट दी जाए।
WTO के अंत की आहट
उन्होंने कहा, “यह कोई अनुकंपा नहीं थी, बल्कि विकासशील देशों को विकसित देशों की मांगों को मानने के बदले मिली रियायत थी। ऐसे में आज अमेरिका अगर भारत के अधिक शुल्क को मुद्दा बना रहा है, तो यह सरासर अनुचित है। डॉ. महाजन ने यह भी कहा कि अमेरिका द्वारा डब्लूटीओ नियमों की अवहेलना करना इस वैश्विक संस्था के अंत की आहट है। ऐसे में अब भारत को भी डब्लूटीओ के शोषणकारी समझौतों जैसे TRIPS, TRIMS, GATS और कृषि समझौते की समीक्षा करनी चाहिए और इससे बाहर निकलने की रणनीति बनानी चाहिए।
एमएसएमई के लिए ये कदम उठाएं सरकार
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि TRIPS समझौते के चलते भारत को भारी रॉयल्टी भुगतान करना पड़ रहा है, जो अब सालाना 17 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जबकि 1990 के दशक में यह एक बिलियन डॉलर से भी कम था। इससे न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है, बल्कि जनस्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। महाजन ने सुझाव दिया कि WTO के कमजोर पड़ते ढांचे के बीच भारत को अब अपने लघु और कुटीर उद्योगों की सुरक्षा के लिए मात्रात्मक नियंत्रण (Quantitative Restrictions – QR) और उत्पाद आरक्षण नीति जैसे पुराने उपायों को फिर से लागू करना चाहिए। इससे रोजगार सृजन और विकेंद्रीकरण को बल मिलेगा।
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भारत को नए बाजार मिल सकते हैं
उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के कारण चीन के निर्यात को झटका लग सकता है, जिससे भारत को नए बाजार मिल सकते हैं। ऐसे में भारत को अपने उद्योगों को प्रोत्साहन देना चाहिए, खासकर रक्षा और वैश्विक मूल्य श्रृंखला जैसे क्षेत्रों में। स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह इस अवसर को रणनीतिक रूप से उपयोग में लाए और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति में बदलाव करते हुए भारत के हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।
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