New Delhi: केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि संस्कृति मंत्रालय में ‘रामसेतु’ को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने इस मुद्दे पर सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लिए गए फैसले के बारे में संस्कृति मंत्रालय अदालत को सूचित करेगा। बता दें कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने याचिका दायर कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ‘रामसेतु’ को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने के लिए केंद्र को निर्देश दे।
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स्वामी बोले- यह हमारी पार्टी की घोषणापत्र में था
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की ओर से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की पीठ को जानकारी देने के बाद आया। सीजेआई ने स्वामी से कहा कि चाहे तो वह मंत्रालय में जिम्मेदार व्यक्ति से मिल सकते हैं। इसके बाद स्वामी ने कहा कि यदि वे किसी से नहीं मिलना चाहते। हम एक ही पार्टी में हैं, यह हमारे घोषणापत्र में था। मंत्रालय को छह या चार सप्ताह में फैसला करने दें।
एक महीना पहले सरकार ने कहा था रामसेतु के पुख्ता सबूत नहीं
संसद के शीतकालीन सत्र में भाजपा सांसद कार्तिकेय शर्मा के रामसेतु पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए स्पेस मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था जिस जगह पर पौराणिक रामसेतु होने का अनुमान जाहिर किया जाता है, वहां की सैटेलाइट तस्वीरें ली गई हैं। छिछले पानी में आइलैंड और चूना पत्थर दिखाई दे रहे हैं, पर यह दावा नहीं कर सकते हैं कि यही रामसेतु के अवशेष हैं।
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2017 में केंद्र सरकार ने बुलाई थी बैठक
स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से रामसेतु के संबंध में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को विस्तृत सर्वेक्षण करने को निर्देश देने का आग्रह किया था। स्वामी ने कहा कि वह मुकदमे का पहला दौर जीत चुके हैं जिसमें केंद्र ने रामसेतु के अस्तित्व को स्वीकार किया था और कहा कि संबंधित केंद्रीय मंत्री ने सेतु को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने की उनकी मांग पर विचार करने के लिए 2017 में एक बैठक बुलाई थी, लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ।
जानिए क्या है रामसेतु
रामसेतु तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट से दूर पंबन द्वीप है, जिसे रामेश्वरम द्वीप के रूप में भी जाना जाता है। यह श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के बीच चूना पत्थर की एक श्रृंखला है।
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