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सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को दी गिरफ्तारी से राहत, गुजरात हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को राहत दे दी है। गुजरात दंगों से जुड़े एक मामले में हाई कोर्ट ने उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था, लेकिन शनिवार रात 10 बजे घोषित फैसले में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें गिरफ्तारी से एक सप्ताह की राहत दी। याचिकाकर्ता को कुछ समय […]

Edited By : Pushpendra Sharma | Updated: Jul 3, 2023 15:47
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Teesta Setalvad
Teesta Setalvad

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को राहत दे दी है। गुजरात दंगों से जुड़े एक मामले में हाई कोर्ट ने उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था, लेकिन शनिवार रात 10 बजे घोषित फैसले में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें गिरफ्तारी से एक सप्ताह की राहत दी।

याचिकाकर्ता को कुछ समय देना चाहिए था

शीर्ष कोर्ट में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा- “हमने पाया है कि गुजरात उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा याचिकाकर्ता को कुछ समय देना चाहिए था। इस दृष्टि से हम एक सप्ताह के लिए रोक लगाते हैं।” तीस्ता सितंबर से अंतरिम जमानत पर हैं, लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के नए आदेश को बरकरार रखा तो उन्हें तत्काल गिरफ्तारी का सामना करना पड़ेगा।

गुजरात HC ने खारिज कर दी थी जमानत याचिका  

इससे पहले शनिवार को गुजरात उच्च न्यायालय ने सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उन्हें तत्काल आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया गया था। अदालत ने सीतलवाड़ पर लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को बाधित करने और तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा को खराब करने का प्रयास करने का आरोप लगाया। मामले की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति निर्जर देसाई ने चिंता व्यक्त की कि जमानत देने से लोकतांत्रिक देश में उदारता का गलत संकेत जाएगा।

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निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने का आरोप

सीतलवाड़ को पिछले साल जून में गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के साथ गिरफ्तार किया गया था। इन तीनों पर 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने का आरोप लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर, 2022 को सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दे दी।

राष्ट्र या राज्य के लिए खतरा

उच्च न्यायालय के फैसले में कहा था कि सीतलवाड़ ने प्रतिष्ठान को कमजोर करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष झूठे और मनगढ़ंत हलफनामे दाखिल करने के लिए अपने करीबी सहयोगियों और दंगा पीड़ितों का इस्तेमाल किया था। अदालत ने चिंता व्यक्त की कि भविष्य में किसी सरकार को अस्थिर करने या राष्ट्र या किसी विशेष राज्य के लिए खतरा पैदा करने के लिए इसी तरह की रणनीति का इस्तेमाल किया जा सकता है।

व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के इरादे से की मदद

अदालत ने एक सामाजिक नेता के रूप में सीतलवाड़ की भूमिका पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के इरादे से दंगा पीड़ितों की मदद की। पद्मश्री प्राप्तकर्ता और योजना आयोग की पूर्व सदस्य सीतलवाड़ पर झूठे हलफनामे तैयार करने, पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट और अन्य मंचों पर इसे दायर करने के लिए मनाने का भी आरोप लगाया गया था। अदालत ने आगे कहा कि सीतलवाड़ के प्रति दिखाई गई उदारता दूसरों को अवैध रूप से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। अदालत ने ये भी कहा कि वह अपने एजेंडे को हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं, जिसमें गवाहों को डराना और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करना शामिल है।

जाफरी की याचिका खारिज 

जकिया जाफरी मामले में 24 जून के फैसले के बाद सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने जाफरी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। उनके पति और पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी दंगों के दौरान मारे गए थे। 2002 के गुजरात दंगे भीड़ द्वारा गोधरा स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच में आग लगाने से भड़के थे।

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First published on: Jul 01, 2023 10:35 PM

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