सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी रिटायर्ड हाई कोर्ट जजों को अब पूरी पेंशन का लाभ मिलेगा, चाहे उन्होंने सेवा में प्रवेश किसी भी तारीख को किया हो। यह फैसला सभी रिटायर्ड न्यायाधीशों के लिए राहत लेकर आया है। कोर्ट ने साफ कहा कि सेवा में प्रवेश की तारीख के आधार पर पेंशन में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता।
संविधान का हवाला देकर भेदभाव को बताया गलत
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि अगर पेंशन के लाभ में किसी भी तरह का भेदभाव किया गया तो यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन माना जाएगा। अनुच्छेद 14 हर नागरिक को कानून के सामने समानता का अधिकार देता है। कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि न्यायाधीशों के साथ भेदभाव करना न केवल गलत है, बल्कि यह संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
Delhi | The Supreme Court ruled that all retired High Court judges are entitled to full pension upon retirement, irrespective of the date they entered service.
A bench headed by CJI BR Gavai held that any form of discrimination among judges regarding pension benefits would…
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) May 19, 2025
एडिशनल और स्थायी जजों में अब कोई फर्क नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि हाई कोर्ट के एडिशनल जजों को भी पूर्ण पेंशन का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि पेंशन के मामले में अतिरिक्त और स्थायी जजों में कोई अंतर नहीं किया जाना चाहिए। दोनों तरह के जजों ने न्यायपालिका की सेवा की है और उन्हें समान लाभ मिलना चाहिए। इससे पहले कुछ मामलों में अतिरिक्त जजों को पूरी पेंशन नहीं दी जा रही थी, जिसे अब खत्म कर दिया गया है।
सैकड़ों रिटायर्ड जजों को मिलेगा फायदा
इस फैसले का असर देशभर के सैकड़ों रिटायर्ड जजों पर पड़ेगा, जो अब तक अधूरी पेंशन पा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से न्यायपालिका के भीतर समानता स्थापित होगी। कोर्ट के इस आदेश के बाद केंद्र और राज्य सरकारों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी रिटायर्ड हाई कोर्ट जजों को बिना किसी भेदभाव के पूरी पेंशन दी जाए।