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कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत पर ‘सुप्रीम’ अपडेट, जनहित याचिका बिना टिप्पणी किए खारिज

Supreme Court News: कफ सिरप पीने से मध्यप्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के मामले में दायर जनहित याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता ने कहा कि कफ सिरप पीने से राज्यों में मौत के आंकडे़ लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ये पहली बार नहीं अक्सर इस तरह की दवाओं को […]

Author Written By: Vijay Jain Author Published By : Vijay Jain Updated: Oct 10, 2025 13:03
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सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court News: कफ सिरप पीने से मध्यप्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के मामले में दायर जनहित याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता ने कहा कि कफ सिरप पीने से राज्यों में मौत के आंकडे़ लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ये पहली बार नहीं अक्सर इस तरह की दवाओं को लेकर खबरे आती रहती हैं. जो भी मेडिसिन बाजार मे भेजी जाएं उनका प्रॉपर टेस्ट किया जाना चाहिए. वकील विशाल तिवारी की तरफ से दाखिल याचिका में इस मामले की जांच राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या एक्सपर्ट कमेटी बनाकर कराए जाने की मांग की गई थी.

वकील विशाल की याचिका में क्या-क्या थीं मांगें

वकील विशाल तिवारी की तरफ से दाखिल याचिका में मांग की गई थी कि इस मामले की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करें. याचिका में इन दवाओं में प्रयुक्त रसायन डाई इथीलीन ग्लाइकॉल और एथलीन ग्लाइकॉल की बिक्री और निगरानी के सख्त नियम बनाए जाने की मांग की गई थी. याचिका में पीडित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की भी गई थी.

इसके अलावा बच्चों की मौत के मामले में विभिन्न राज्यों में दर्ज एफआईआर को एक जगह ही ट्रांसफर कर जांच कराए जाने की मांग की गई थी. कफ सिरप के नाम पर विषैले सिरप बनाने वाली कंपनियों के लाइसेंस रद्द करते हुए उनको फौरन बंद कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग भी की गई थी.

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तुषार मेहता ने किया इस याचिका का विरोध

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस याचिका का विरोध किया. उन्होने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार खुद कार्रवाई करने में समर्थ है. उन्हें जाँच न करने देना, उन पर अविश्वास करना होगा. सॉलिसिटर जनरल ने याचिकाकर्ता विशाल तिवारी की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि कहीं भी कुछ होता है, वो अखबार पढ़कर PIL दाखिल कर देते है! इस दलील के मद्देनजर CJI ने याचिकाकर्ता से पूछा कि अब तक आपने कितनी PIL दाखिल की है. याचिकाकर्ता वकील ने जवाब दिया -8 या 10. कोर्ट ने बिना कोई टिप्पणी किए याचिका खारिज कर दी.

First published on: Oct 10, 2025 01:01 PM

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