जस्टिस यशवंत वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से झटका है. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है। जसिटस यशवंत वर्मा के घर में आग लगी थी और फिर बाद में बड़ी संख्या में जले हुए नोट बरामद किए गए थे। इसके बाद काफी विवाद हुआ था और ये विवाद अभी तक चला आ रहा है। संसद भवन में महाभियोग आने वाला है, जिससे जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने आंतरिक तीन न्यायाधीशों की जांच समिति की रिपोर्ट और पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की सुनवाई की है। कोर्ट ने उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि उन्हें आंतरिक जांच समिति द्वारा अपने निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले जवाब देने का उचित अवसर नहीं दिया गया।
न्यायमूर्ति वर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कोर्ट ने पूछा कि उनके मुवक्किल ने पैनल के समक्ष उपस्थित होने से पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित तीन न्यायाधीशों की आंतरिक जांच प्रक्रिया को चुनौती क्यों नहीं दी? यदि न्यायमूर्ति वर्मा का मानना है कि यह असंवैधानिक है तो उन्होंने आंतरिक जांच पैनल के समक्ष उपस्थित होने का फैसला क्यों किया और कार्यवाही समाप्त होने के बाद ही वे इसे चुनौती क्यों दे रहे हैं?
न्यायाधीश यशवंत वर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए। गौरतलब है कि यशवंत वर्मा के घर में 14 मार्च को आग लग गई थी, जिसके दमकल विभाग के कर्मियों को बड़ी संख्या में नगदी बरामद की गई थी। उस समय वे दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। हालांकि इस वक्त ये घटना हुई थी, उस वक्त न्यायाधीश यशवंत वर्मा अपने घर पर मौजूद नहीं थे