सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 यानी हिंदू सक्सेशन एक्ट एसएचए का दायरा अनुसूचित जनजातियों यानी कि शेड्यूल्ड ट्राइब पर लागू नहीं होता। कोर्ट ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार इस संबंध में कोई अधिसूचना यानी कि नोटिफिकेशन जारी नहीं करती तब तक यह कानून आदिवासी समुदायों पर लागू नहीं किया जा सकता।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के 2015 के एक फैसले से जुड़ा था। उस फैसले में हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य के आदिवासी इलाकों में बेटियों को संपत्ति में अधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत मिलना चाहिए ना कि आदिवासी परंपराओं या रीति-रिवाजों के अनुसार। हाईकोर्ट का मानना था कि ऐसा करने से सामाजिक अन्याय और शोषण को रोका जा सकेगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को खारिज करते हुए कहा कि हाई कोर्ट का यह निर्देश कानून के अनुरूप नहीं था। जस्टिस संजय करोल और प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने कहा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 2/2 के अनुसार यह अधिनियम अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों पर तब तक लागू नहीं होता जब तक कि केंद्र सरकार इसकी अधिसूचना यानी कि नोटिफिकेशन जारी ना करें।
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