Shubhanshu shukla on Earth: मंगलवार का दिन भारतीयों के लिए गर्व भरा रहा। 18 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद शुभांशु शुक्ला पृथ्वी पर लौट आए। 60 प्रयोग करने के बाद शुभांशु ने अपने साथियों के साथ ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे कैलिफोर्निया तट पर लैंड किया। शुभांशु अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले अंतरिक्ष भारतीय यात्री बन गए हैं। इसरो ने बताया कि अब शुभांशु पृथ्वी पर 7 दिन रिहैबिलिटेशन की प्रक्रिया से गुजरेंगे। ताकि वह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में अपने आप को ढाल सकें।
अब 7 दिन क्या-क्या होगा
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से आने के बाद शुभांशु फ्लाइट सर्जन की देखरेख में रहेंगे। इस दौरान मेडिकल टीम शुभांशु के बॉडी वाइटल्स, ब्लड सैंपल, हार्ट, ब्रेन MRI आदि जांच की जाएगी। 7 दिन निगरानी में रखा जाएगा। जांच में देखा जाएगा कि अंतरिक्ष यात्री के शरीर में कोई स्पेस-जर्म या खतरनाक सूक्ष्मजीव नहीं है। स्पेस स्टेशन में माइक्रोब और पृथ्वी के बैक्टीरिया अलग-अलग होता है, जो पृथ्वी पर आने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए और अन्य लोगों के लिए समस्या बन सकते हैं। साथ ही यह स्टडी की जाएगी कि मिशन के दौरान शुभांशु के शरीर पर अंतरिक्ष का क्या प्रभाव पड़ता है।
रिहैबिलिटेशन क्यों हैं जरूरी
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल नहीं होता है। इस दौरान यात्री वहां अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाते हैं। ऐसे में इतने दिन सोना, जागना, खाना-पीना समेत हर काम हवा में रहकर करते हैं और शरीर इसी का आदी हो जाता है। पृथ्वी पर आने के बाद यात्री को यहां का तालमेल बिठाने के लिए रिहैबिलिटेशन में रखा जाता है। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होने से शरीर का इम्यून सिस्टम पर फर्क पड़ता है। पृथ्वी पर आने के बाद अंतरिक्षयात्री के शरीर में सामान्य संक्रमण जैसे सर्दी, फ्लू, वायरस भी अन्य लोगों के लिए गंभीर हो सकते हैं।
मिशन गगनयान-2027 में शुभांशु से क्या फायदा?
जानकारी के अनुसार, भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ 2027 में लॉन्च होना प्रस्तावित है। शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 स्पेस मिशन में अंतरिक्ष में रहने, काम करने और आपातस्थिति से निपटने का अनुभव हासिल की। मिशन गगनयान-2027 के लिए Axiom-4 मिशन एक ट्रैनिंग की तरह काम करेगा। एक्सियम-4 एक निजी स्पेस मिशन था। इस मिशन में कंपनी एक्सियम, NASA, इसरो और स्पेसएक्स की साझेदारी रही। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी हिस्सा रहा। मिशन में एक सीट के लिए इसरो ने करीब 548 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। 6 जुलाई को अंतरिक्ष में रहने के दौरान ISRO चेयरमैन डॉ. वी नारायणन और वरिष्ठ अधिकारियों ने शुभांशु से बात की थी।
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