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शिमला के युग मर्डर केस में बड़ा अपडेट, दोषियों की मौत की सजा उम्रकैद में बदली

Shimla Yug Murder Case: हिमाचल हाईकोर्ट ने युग हत्याकांड में दो दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली औप एक आरोपी को बरी कर दिया है. पीड़ित पिता ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया है. जानिए अब तक कोर्ट में कैसे चली केस की सुनवाई. पढ़ें शिमला से राजेश शर्मा की रिपोर्ट.

Author Written By: Namrata Mohanty Author Published By : Namrata Mohanty Updated: Sep 23, 2025 13:56
source-shimla yug murder case

Shimla Yug Murder Case: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने मंगलवार को बहुचर्चित युग हत्याकांड के दोषियों को दिए मृत्यु दंड पर अपना फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने युग मर्डर केस में दोषियों के मृत्युदंड को उम्रकैद में बदल दिया है. अब दोषियों को अंतिम सांस तक जेल में ही रहना होगा. वहीं, 3 में से एक दोषी को हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है जबकि बाकी दो की सजा बदल दी गई है.

नाखुश दिखें पिता

हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद युग के पिता विनोद कुमार गुप्ता बिल्कुल नाखुश दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि वो अब सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे. बता दें कि तीन दोषियों को फिरौती के लिए चार साल के मासूम युग की अपहरण के बाद निर्मम हत्या करने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. 6 सितंबर 2018 को दोषी चंद्र शर्मा, तेजिंद्र पाल और विक्रांत बख्शी को सजा सुनाते हुए अदालत ने इस अपराध को दुर्लभ में दुर्लभतम श्रेणी के दायरे में पाया था.

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क्या था मामला?

14 जून 2014 को शिमला के राम बाजार इलाके से 4 साल के मास्टर युग का अपहरण कर लिया गया था. अपहरण फिरौती के लिए किया गया था. किडनैपिंग के दो साल बाद अगस्त 2016 में भराड़ी पेयजल टैंक से युग का कंकाल मिला था. मासूम के शरीर में पत्थर बांध कर उसे जिंदा पानी से भरे टैंक में फेंक दिया गया था. हालांकि, परिवार ने अपहरण के तुरंत बाद ही सदर थाने में FIR दर्ज कराई थी.

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जांच की प्रक्रिया

इस मामले की शुरुआती जांच 15 जून 2014 से शुरू हुई थी. जब पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया था लेकिन 2 महीने तक कोई सुराग नहीं मिल पाया था. असफलता के बाद केस को CID को सौंप दिया गया था.

इसके बाद 22 अगस्त 2016 को क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट ने जांच के दौरान डिजिटल एविडेंस जैसे कॉल रिकॉर्ड्स और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर तीनों आरोपी पकड़ लिया था. आरोपी विक्रांत की मदद से वाटर टैंक की सफाई की गई थी, जहां से युग का कंकाल बरामद हुआ था. DNA टेस्ट से पुष्टि से पता चला था कि कंकाल युग का है.

कैसे आया कोर्ट का फैसला?

6 सितंबर 2018 को ट्रायल कोर्ट ने तीनों को फांसी की सजा सुनाई थी. जज वीरेंद्र सिंह ने इस केस “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” केस की श्रेणी में रखा था. सबूतों के आधार पर सजा दी गई थी. इसके बाद दोषियों ने मार्च 2023 में हाईकोर्ट में अपील की थी जहां अगस्त 2025 तक सुनवाई चली. इसके बाद 11 अगस्त 2025 तक सुनवाई चली जिसके कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा. 22 सितंबर 2025 को कोर्ट ने दो दोषियों चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी को फांसी उम्रकैद में बदल दी. वहीं, तेजिंद्र पाल को बरी कर दिया.

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First published on: Sep 23, 2025 01:17 PM

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