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शिबू सोरेन पहले ऐसे केंद्रीय मंत्री, जिनके खिलाफ निकला था गिरफ्तारी वारंट, जमानत के बाद फिर 2 बार बने कोयला मंत्री

Shibu Soren Death: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबु सोरेन पहले ऐसे केंद्रीय मंत्री थे जिनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था। जमानत के बाद भी 2 बाद कोयला मंत्री बनाया गया। पढ़िए शिबू सोरेन का दिलचस्प किस्सा।

Author Written By: Raghav Tiwari Author Published By : Raghav Tiwari Updated: Aug 4, 2025 14:08
केंद्रीय मंत्री के रुप में शपथ लेते शिबू सोरेन।

Shibu Soren Death: झारखंड बनने से पहले राजनीति में अपना परचम लहराने वाले शिबू सोरेन के कई राजनीतिक किस्से हैं। जो विवादों से भरे, राजनीतिक हनक से भरे, केंद्र की सरकार बचाने से भरे पड़े हैं। पर एक किस्सा ऐसा है जिसने भारत की राजनीति में इतिहास बना दिया, नया रिकॉर्ड बना दिया। साल 2004 में केंद्र में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, उस दौरान उनकी टीम में शिबू सोरेन कोयला मंत्री थे। 30 साल पुराने चिरुडीह नरसंहार में शिबू सोरेन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ। इस वजह से सोरेन ने 24 जुलाई 2004 को कोयला मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। सितंबर को जमानत पर रिहा होने के बाद शिबू को फिर कोयला मंत्रालय दे दिया गया था।

क्या है चिरुडीह कांड?

1975 में चिरूदीह इलाके में आदिवासी कार्यकर्ता रैली निकाल रहे थे, इसका नेतृत्व शिबू सोरेन कर रहे थे। इसी बीच जमींदारों और पुलिस ने आदिवासियों की झड़प हो गई। इसमें 11 आदिवासी मारे गए। घटना से पूरे इलाके में आक्रोश फैल गया। कई आदिवासी नेताओं पर मुकदमा दर्ज हुआ। मामले में 69 लोगों को आरोपी बनाया गया था। मुख्य आरोपी शिबू सोरेन बने। इसके बाद शिबु अंडरग्राउंड हो गए, उन्हें फरार घोषित कर दिया गया। बाद में गिरफ्तार हुए,1 महीने तक न्यायिक हिरासत में रहे। इसके बाद उन्हें जमानत मिल गई। फिर उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।

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कांग्रेस से हुआ था गठबंधन का सौदा

केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। जमानत के बाद शिबू को कोयला मंत्री पद सौंपा गया था। उसी साल कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठबंधन हुआ था। इसीलिए कांग्रेस ने शिबू को मंत्रालय सौंपा था। जमानत के बाद 24 जुलाई 2004 से 2 मार्च 2005 तक शिबू कोयला मंत्री रहे। इसके बाद 29 जनवरी 2006 से 28 नवंबर 2006 तक उन्हें फिर कोयला मंत्री बनाया गया। शिबू को मंत्रालय गठबंधन के सौदे के रूप में दिया गया था। उस समय दोनों पार्टियों का गठबंधन 2009 तक चला था।

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केंद्र सरकार के लिए निजी सचिव की हत्या

साल 1993 में शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उस समय केंद्र में नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव आया था। उस समय कांग्रेस और झामुमो के बीच कथित सौदेबाजी और समलैंगिकता की घटना हुई थी। इसकी शिबू के निजी सचिव शशिनाथ झा को थी। इस वजह से 22 मई 1994 को दिल्ली के धौला कुआं इलाके से शिबू सोरेन ने निजी सचिव शशिनाथ को किडनैप कर लिया। बाद में रांची के पास पिस्का नगरी में निजी सचिव की हत्या कर दी। 12 साल बाद कोर्ट ने शिबू सोरेन को दोषी माना था। मामले की सीबीआई ने जांच की थी।

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First published on: Aug 04, 2025 02:08 PM

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