दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि राज्य में ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग टॉयलेट्स के निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। राज्य सरकार ने ये भी कहा कि निर्माण कार्य तेजी से यानी फास्ट ट्रैक आधार पर किया जाएगा। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने ये जानकारी दी। जनहित याचिका में ट्रांसजेंडरों के लिए अलग सार्वजनिक शौचालय के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।
जस्टिस सतीश चंद्र मिश्रा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने अपने वकील की दलीलों पर गौर करने के बाद राज्य सरकार को ट्रांसजेंडर या तीसरे लिंग के व्यक्तियों के उपयोग के लिए नए शौचालयों के निर्माण पर एक नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है। कोर्ट ने मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए अगली तारीख 14 नवंबर तय की है।
दिव्यांगों के टॉयलेट्स को भी यूज कर सकते हैं ट्रांसजेंडर्स
दिल्ली सरकार की हालिया स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, दिव्यांगों के लिए बने 505 शौचालयों को भी ट्रांसजेंडरों के उपयोग के लिए नॉमिनेट किया गया है। रिपोर्ट में ये भी जानकारी दी गई है कि ट्रांसजेंडर या थर्ड जेंडर के यूज के लिए नौ नए शौचालयों का निर्माण पहले ही किया जा चुका है और अब 56 टॉयलेट्स का निर्माण जारी है।
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार, नागरिक निकायों से जवाब मांगा था, जिसमें प्रतिवादियों को ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग वॉशरूम बनाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। लॉ स्टूडेंट जैस्मीन कौर छाबड़ा ने अपने वकील रूपिंदर पाल सिंह के माध्यम से याचिका दाखिल की थी।
याचिका में कहा- केंद्र ने जारी कर दी है राशि
याचिका में वॉशरूम की स्वच्छता बनाए रखने के लिए भी दिशा-निर्देश की मांग की गई थी, ताकि भारत के प्रत्येक नागरिक को एक मानक जीवन जीने के लिए आवश्यक बुनियादी चीजों तक पहुंचने के समान अधिकार और सुविधाएं मिल सकें। याचिका में आगे कहा गया कि केंद्र ने राशि जारी कर दी है लेकिन दिल्ली में ट्रांसजेंडर के लिए अभी भी अलग शौचालय नहीं हैं।
‘पुरुष टॉयलेट्स यूज करने के दौरान यौन उत्पीड़न का खतरा’
पीआईएल में कहा गया कि मैसूर, भोपाल और लुधियाना ने पहले ही इस मामले पर कार्रवाई शुरू कर दी है और अलग-अलग सार्वजनिक वॉशरूम बनाए हैं, लेकिन दिल्ली अभी भी इस पहल में कही नहीं है। कहा गया कि ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग से शौचालय की सुविधा नहीं है, उन्हें पुरुष शौचालयों का उपयोग करना पड़ता है जहां उन्हें यौन उत्पीड़न का खतरा होता है।