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Samvidhan Pe Charcha: किरेन रिजिजू बोले- पंडित नेहरू ने मुसलमानों के लिए बात की, दलितों के लिए नहीं

Samvidhan Pe Charcha: लोकसभा सदन में संविधान की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर संविधान पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच चर्चा चल रही है, जिसका आज दूसरा दिन है। भाजपा और कांग्रेस नेता संविधान पर चर्चा और जवाब पेश कर रहे हैं। आज किरेन रिजिजू ने चर्चा की शुरुआत की।

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Dec 14, 2024 12:57
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Minister Kiren Rijiju
Minister Kiren Rijiju

Samvidhan Pe Charcha Lok Sabha Session: संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा सदन में संविधान पर चर्चा चल रही है और आज चर्चा का दूसरा दिन है। पहले दिन शुक्रवार को भाजपा की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संविधान पर चर्चा शुरू की थी। कांग्रेस की वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने इस चर्चा का जवाब दिया। इसके बाद समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संविधान पर अपनी बात रखी।

आज दूसरे दिन केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संविधान पर चर्चा की शुरुआत की। वहीं आज शाम को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान पर चर्चा का जवाब देंगे। कांग्रेस की ओर से रायबरेली से सांसद राहुल गांधी चर्चा का जवाब देंगे। इससे पहले आइए जानते हैं कि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आज संसद में संविधान को लेकर क्या कहा?

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रिजिजू ने समानता को संविधान की आत्मा बताया

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने समानता को संविधान की आत्मा बताया। उन्होंने कहा कि संविधान भारत देश के गौरवशाली अतीत का प्रतिबिंब है। बाबा साहेब अंबेडकर ने देश की जनता को संविधान में अधिकारों के साथ-साथ कुछ दायित्व भी सौंपे। सभी को एक समान रखते हुए समानता का अधिकार दिया, लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने बाबा साहेब के दलितों और उनको आरक्षण के विचार पर सवाल उठाए।

अंबेडकर ने ही एक बार कहा था कि पंडित नेहरू ने 20 साल में 2000 से ज्यादा भाषण दिए, लेकिन उन्होंने हमेशा मुसलमानों की बात की, दलितों और अनुसूचित जातियों के कल्याण की बात कभी नहीं की। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि कांग्रेस देशवासियों को कितना समान मानती है? पंडित नेहरू आरक्षण के पक्ष में नहीं थे।

 

अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और सुरक्षा पर बोले किरेन

किरण रिजिजू ने कहा कि एक नैरेटिव बनाया जा रहा है। सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस इन यूरोपियन यूनियन के सर्वे के मुताबिक, यूरोपियन यूनियन में 48 फीसदी लोग भेदभाव के शिकार हैं। ये इस्लाम को मानने वाले मुसलमान हैं। फ्रांस में कई भेदभाव की रिपोर्टें पेश की गईं, जिसमें बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सिर पर स्कार्फ, बुर्का पहनने वालों पर आपत्ति जताई और कहा कि स्पेन में उनके साथ यह भेदभाव किया जा रहा है। मुसलमानों के ख़िलाफ़ आंतरिक घृणा अपराधों की रिपोर्ट ज़्यादा है। आप लोग जानते हैं कि पाकिस्तान की हालत क्या है, बांग्लादेश में क्या होता है।

आप लोग जानते हैं कि अफ़गानिस्तान में सिखों, हिंदुओं, ईसाइयों के साथ क्या हुआ है, चाहे तिब्बत की समस्या हो या म्यांमार हो, श्रीलंका हो या बांग्लादेश, पाकिस्तान हो या अफगानिस्तान, अगर वहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता है या कोई समस्या खड़ी होती है तो सबसे पहला देश जहां वे सुरक्षा मांगने आते हैं, वह भारत है। फिर ऐसा क्यों कहा जाता है कि इस देश में अल्पसंख्यकों के लिए कोई सुरक्षा नहीं है। ऐसी बातें नहीं कही जानी चाहिए, जिससे देश की छवि को नुकसान पहुंचे। मैं यह बात किसी एक पार्टी के लिए नहीं कह रहा हूं, मैं यह देश के लिए कह रहा हूं।

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Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Dec 14, 2024 12:42 PM

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