महाराष्ट्र के नागपुर में एक कार्यक्रम में आरआरएस प्रमुख मोहन भागवत ने भारत के विश्वगुरु बनने का तरीका बताया है। उन्होंने कहा कि कई ऐसे काम हैं जो दूसरे देशों ने किए हैं, हम भी करेंगे। लेकिन दुनिया के पास अध्यात्म और धर्म नहीं है, जो हमारे पास है। दुनिया इसके लिए हमारे पास आती है।
जब हम इसमें (धर्म और अध्यात्म में) बड़े हो जाते हैं, तो दुनिया हमारे सामने झुकती है और हमें विश्वगुरु मानती है। हमें हर क्षेत्र में प्रगति करनी चाहिए, लेकिन हमारा देश सही मायने में विश्वगुरु तभी माना जाएगा जब हम इस क्षेत्र (धर्म और अध्यात्म) में आगे बढ़ेंगे।
‘3 ट्रिलियन डॉलर कोई नहीं बात नहीं’
मोहन भागवत ने कहा कि अगर हमारा देश 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन भी जाए, तो दुनिया के लिए यह कोई नई बात नहीं होगी, क्योंकि ऐसे कई अन्य देश भी हैं। अमेरिका और चीन भी अमीर हैं। कई अमीर देश हैं। हमें भगवान शिव की तरह बनना होगा, जो वीर हैं और सभी को समान रूप से देखते हैं। वे थोड़े में ही खुश हो जाते हैं और दुनिया की समस्याओं का समाधान करते हैं।
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आध्यात्म का सिर्फ पूजा से नहीं जीवन से है संबंध
मोहन भागवत ने कहा कि हम पूजा करते हैं, उत्सव करते हैं। अच्छा लगता है। लेकिन इसका केवल इतने तक नहीं, अध्यात्म का संबंध जीवन से है। अपना जीवन शिव जी जैसा निर्भर होना चाहिए। जो सांप को भी गले लपेटते हैं, लेकिन उनको डर नहीं लगता है। उन्होंने जहर पचाया है, तो सांप ने काट भी लिया तो क्या होगा। कहा कि शिव जी ताकत रखते हैं, इसलिए निर्भर हैं। देवों के साथ भूत-पेत, पिशाच भी उनके गणों में हैं। कहा कि शिव जैसा बनना चाहिए।
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