Real Estate: लोग जीवन भर की जमा की हुई पूंजी बहुत सोच समझकर अपना सपनों का घर खरीदने में लगा देते हैं। घर खरीदने के लिए वह जिन कंपनियों पर भरोसा करते हैं, वही उनको बीच में छोड़ देती हैं। पिछले कई सालों में आम्रपाली से लेकर अंसल तक बड़ी कंपनियों ने अपनी साख खोई है। इन कंपनियों में लोग घर खरीदने के लिए पैसे लगा देते हैं, लेकिन यह उन पैसों का इस्तेमाल दूसरे कामों में करते हैं। जिसके बाद इनका रेरा से रजिस्ट्रेशन तक कैंसिल हो जाता है। सवाल यह उठता है कि आखिर इसके पीछे क्या वजह है?
आम्रपाली ग्रुप का पतन
आम्रपाली ग्रुप का नाम ज्यादातर लोग जानते हैं। इस कंपनी पर लोगों ने भरोसा करके अपने पैसे लगाए। कंपनी ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सस्ते और लग्जरी घरों के लिए प्रोजेक्ट निकाले थे। जिनका बढ़े पैमाने पर प्रचार किए गए। एक समय के बाद कंपनी पर आरोप लगा कि उसने लोगों के पैसे को दूसरी जगह पर इन्वेस्ट कर दिया गया। यह मामला 2019 में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और उसका रेरा रजिस्ट्रेशन कैंसिल हो गया। कंपनी पर मनी लॉन्ड्रिंग के भी आरोप लगे।
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अंसल ग्रुप की कहानी
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ ऐसी ही कहानी अंसल ग्रुप की भी है। 1967 में शुरू यह कंपनी एक समय में दिल्ली-एनसीआर में रियल एस्टेट में पहले नंबर पर थी। 2017 में इस कंपनी पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट में देरी को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया। जिसमें कहा गया कि होम बायर्स को मुआवजा दिया जाए, इसके बाद से ही इस कंपनी की हालत खराब होती चली गई।
क्यों डूब जाती है कंपनियां?
रियल एस्टेट कंपनियों के डूबने के कई कारण बताए जाते हैं। आम्रपाली ग्रुप के मामले में खुलासा हुआ कि लोगों से मिले फंड्स को इसने 46 सहायक कंपनियों में लगा दिया था। इन पैसों का इस्तेमाल प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के बजाय दूसरे कामों खर्च किया गया। इसके बाद उन पर कर्ज और उसका ब्याज बढ़ जाता है। इसके अलावा, प्रोजेक्ट्स को मंजूरी के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। इसका एक कारण नोटबंदी और जीएसटी भी बताया जाता है, जिससे उनकी इनकम पर प्रभाव पड़ता है। वहीं, कई बार प्रोजेक्ट का सफल न होना ग्राहकों को दी गई अधूरी जानकारियां भी बनती हैं।
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