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नहीं रहे रामविलास वेदांती : 12 साल की उम्र में छोड़ा घर, बने राम मंदिर आंदोलन का चेहरा; 2 बार सांसद भी रहे

पूर्व सांसद डॉक्टर रामविलास दास वेदांती का निधन मध्य प्रदेश के रीवा में हुआ. उनका अंतिम संस्कार अयोध्या में किया जाएगा.

Author Edited By : Arif Khan
Updated: Dec 15, 2025 14:22
डॉक्टर रामविलास दास वेदांती दो बार सांसद भी रहे हैं.

अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरा और पूर्व सांसद डॉक्टर रामविलास दास वेदांती का निधन हो गया. उनका निधन मध्य प्रदेश के रीवा में हुआ है. तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका शव मध्य प्रदेश से अयोध्या ला जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाना है.

रामकथा के बीच बिगड़ी तबीयत

रामविलास दास वेदांती 10 दिसंबर को दिल्ली से रीवा पहुंचे थे. उनकी रीवा में उस वक्त तबीयत खराब हो गई, जब रामकथा चल रही थी. इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा था. लेकिन सोमवार को जब उनकी तबीयत ज्यादा खराब हुई तो उन्हें दिल्ली ले जाने की तैयारी की जाने लगी. इसके लिए एयर एंबुलेंस भी बुला ली गई थी, लेकिन वह घने कोहरे की वजह से लैंड नहीं कर पाई. इस वजह से उन्हें रीवा से दिल्ली नहीं लाया जा सका और सोमवार को उन्होंने दम तोड़ दिया.

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कैसे बने राम मंदिर आंदोलन का प्रमुख चेहरा

वेदांती राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख चेहरे रहे हैं. उन्होंने इस आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाया था. इसके अलावा जब वह सांसद बने तो संसद में भी मंदिर को लेकर मजबूती से आवाज उठाई थी. इन्हें राम जन्मभूमि न्यास का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया गया था. इसके अलावा इनका नाम बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भी था. लेकिन साल 2020 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने इन्हें बरी कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि बाबरी मस्जिद को पहले से योजना बनाकर नहीं ढहाया गया.

कैसा रहा सियासी सफर

रामविलास दास वेदांती दो बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. पहली बार उन्होंने 1996 में मछली शहर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 1998 में प्रतापगढ़ सीट से लोकसभा चुनाव जीता था.

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कब लिया संन्यास?

डॉ. वेदांती का 7 अक्टूबर 1958 को रीवा के गुढ़वा गांव में जन्म हुआ था. उन्होंने महज 12 साल की उम्र में संन्यास ले लिया था. वह अपना घर छोड़कर अयोध्या आ गए और हनुमानगढ़ी के महंत अभिराम दास के शिष्य बन गए. संस्कृत के प्रकांड विद्वान माने जाने वाले वेदांती सरयू किनारे स्थित ‘हिंदू धाम’ पर रहते थे, उनका खुद का ‘वशिष्ठ भवन’ एक आश्रम भी है.

CM योगी ने जताया शोक

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर शोक जताते हुए X पर लिखा कि डॉ. रामविलास वेदांती का दुनिया को अलविदा कहना आध्यात्मिक जगत और सनातन संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है. उनका दुनिया से चले जाना एक युग का अवसान हो जाना है. धर्म, समाज और देश की सेवा को समर्पित उनका जीवन भारतीयों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा. दिवंगत पुण्यात्मा को भगवान अपने श्रीचरणों में स्थान दें.

First published on: Dec 15, 2025 02:19 PM

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