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कभी लोको पायलट तो कभी राजमिस्त्री…क्या राहुल गांधी का यह अंदाज कांग्रेस को दे पाएगा संजीवनी?

Rahul Gandhi: 2024 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के नजरिए से कमबैक का चुनाव रहा। पार्टी ने इस बार के चुनाव में 99 सीटों पर जीत दर्ज की। कुल मिलाकर राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी अब आने वाले चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर देंगे।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Jul 6, 2024 10:49
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Rahul Gandhi Meet Loco Pilots in Delhi
राहुल गांधी। (File Photo)

Rahul Gandhi Meet Loco Pilots in Delhi: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का अंदाज कुछ बदला-बदला सा नजर आ रहा है। कभी वे राजमिस्त्रियों से मिलने चले जाते हैं तो कभी वे ऑटो चालकों से मिलते हैं। भारत जोड़ो और न्याय यात्रा के दौरान भी उन्हें अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग अंदाज में देखा गया। कुल मिलकार कांग्रेस अब एक बार फिर जीवंत हो चुकी हैं। कांग्रेस के कार्यकर्ता जो कभी-कभी ही सक्रिय नजर आते थे अब वे दोगुनी गति से काम करते हुए देखे जा सकते हैं। उन्हें अब एक नई दिशा मिल चुकी है। ऐसे में आइये जानते हैं क्या कांग्रेस को वास्तव में संजीवनी मिल गई है जिसकी तलाश में वह 2014 से जुटी थी।

2014 में देश की जनता ने 30 साल बाद किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया। परिणाम यह रहा कि नरेंद्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने। 2019 में दोगुनी ताकत से एक बार फिर देश के पीएम बने। उनकी बनाई योजनाएं और विकास कार्य लोगों के सिर चढ़कर बोला परिणाम यह रहा कि कांग्रेस कई राज्यों से साफ हो गई। 2024 में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कमी आई इसी का परिणाम था कि उनकी पार्टी इस बार पूर्ण बहुमत से दूर रह गई। चुनाव में वह सिर्फ 240 सीटें ही जीत सकी। 2014 से 2019 कांग्रेस एक दम खत्म सी हो गई थी। मोदी सरकार ने एक नारा दिया था काग्रेस मुक्त भारत। पीएम मोदी का यह नारा पूरी तरह सफल नहीं हो पाया। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली। राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अपने दम पर सरकार बनाने में सफलता हासिल कर पाई।

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कांग्रेस को ऐसे हुआ फायदा

कोरोना महामारी के बाद से कांग्रेस में एक बार फिर परिवर्तन का दौर देखने को मिला। सोनिया गांधी के बीमार रहने के कारण नए अध्यक्ष की मांग जोर पकड़ने लगी। कांग्रेस काडर के नेताओं ने एक बार फिर राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की पहल की। हालांकि राहुल ने इस बार अध्यक्ष बनने से इंकार कर दिया, क्योंकि पार्टी उनके नेतृत्व में कई राज्यों के विधानसभा और लोकसभा चुनाव 2019 में हार का मुंह देख चुकी थी। ऐसे में उन्होंने अध्यक्ष बनने से इंकार कर दिया। ऐसे में यह तय हुआ कि गांधी परिवार के किसी विश्वस्त को इसकी कमान सौंपी जाए। इसके बाद अशोक गहलोत का नाम सामने आया पर वे राजस्थान छोड़ने को राजी नहीं थे इसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस का अध्यक्ष घोषित किया गया।

अहमद पटेल के बाद आगे आए ये नेता

खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी सबसे ज्यादा सक्रिय नजर आए। अहमद पटेल की मौत के बाद से ही कांग्रेस में डैमेज कंट्रोल करने वाले नेताओं की कमी सी हो गई। परिणाम यह रहा कि कई ऐसे नेता जो कांग्रेस के स्तंभ थे धीरे-धीरे करके पार्टी छोड़ने लगे। इसके बाद केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, अजय माकन और अशोक गहलोत सरीखे नेताओं ने विचार विमर्श कर राहुल गांधी की छवि को बदलने की कोशिश शुरू की। परिणाम स्वरूप यात्रा का आइडिया सामने आया। क्योंकि पहले भी यात्राएं देश में राजनीति की दशा और दिशा तय करती रही है। चाहे वो आडवाणी की रथ यात्रा हो या जेपी की संविधान बचाओ यात्रा।

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राहुल गांधी ने अपने सलाहकार बदले और इसी का परिणाम रहा कि उन्होंने कन्याकुमारी ने श्रीनगर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाली। हालांकि यात्रा के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को फायदा नहीं हुआ। कई राज्यों से कांग्रेस साफ हो गई, लेकिन तेलंगाना और कर्नाटक में अपने दम पर सरकार बनाने में सफल रही। तेलंगाना में लग रहा था कि टीआरएस के बाद बीजेपी सरकार बना सकती है लेकिन अचानक चुनाव में कांग्रेस उभरकर सामने आई। वहीं कर्नाटक में बीजेपी को भ्रष्टाचार को उन्होंने मुद्दा बनाया और सिद्धारमैया एक बार फिर सीएम बनने में सफल रहे।

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भारत जोड़ो यात्रा ने रखी बदलाव की नींव

इसके बाद भी राहुल गांधी का लगातार बीजेपी और पीएम मोदी पर हमला जारी रहा। कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगा कि एक यात्रा से काम नहीं चलने वाला है। कर्नाटक और तेलंगाना के परिणामों से उत्साहित कांग्रेस ने मणिपुर से मुंबई तक भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाली। यह यात्रा लोकसभा चुनाव से कुछ दिन पहले ही खत्म हुई। उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के नेताओं ने जमकर जुबानी तीर चलाए।

कांग्रेस ने बीजेपी के 400 पार के नारे के जवाब में संविधान बचाओ को लेकर प्रचार किया। ऐसे में दलितों और खासकर एससी/एसटी समुदाय को लगा कि आरक्षण खत्म हो जाएगा। ऐसे में यूपी, महाराष्ट्र और हरियाणा में दलितों के वोट कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को मिले। जहां-जहां बीजेपी को नुकसान हुआ वहां-वहां पर कांग्रेस को फायदा हुआ। हालांकि इसमें बंगाल शामिल नहीं था।

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अब आगे क्या?

राहुल गांधी की इन दो यात्राओं ने कांग्रेस को 53 से 99 तक पहुंचा दिया। जोकि एक बहुत बड़ा बदलाव था। कांग्रेस को फिर से संजीवन मिल चुकी है। यह काॅन्फिडेंस 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में भी नजर आया। हालांकि कांग्रेस की तुलना में बीजेपी इस बार रणनीति बनाने में चूक गई। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की संविधान बदल देने के दुष्प्रचार के चलते बीजेपी को ज्यादा नुकसान हुआ। इसका काउंटर बीजेपी चुनाव के आखिर तक नहीं कर पाई।

2024 का लोकसभा चुनाव अब इतिहास बन चुका है। अब सबकी नजर इस साल होने वाले झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव पर है। देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी की बदली-बदली छवि अब क्या गुल खिलाती है?

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Edited By

Rakesh Choudhary

First published on: Jul 06, 2024 09:34 AM

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