Punishment for stopping emergency vehicle and ambulance: आप ये तो जानते होंगे कि एंबुलेंस को रास्ता ना देने पर आपके खिलाफ कंप्लेंट हो जाएगा, आपका चालान कट सकता है और आपको जुर्माना देना पड़ सकता है। मगर, क्या आप ये जानते हैं कि रास्ता नहीं देने पर किसी को भी जेल भी हो सकती है। भारत के यातायात नियमों के अनुसार एंबुलेंस जैसी इमरजेंसी गाड़ियों को रोकने पर जेल काटनी पड़ सकती है। जानिए ये किस स्थिति में हो सकता है।
मरीज की मौत हो जाए तो हो सकती है जेल
कई बार ट्रैफिक में फंसने की वजह से लोग एंबुलेंस को भी रास्ता नहीं देते हैं। अगर एंबुलेंस में कोई ऐसा मरीज मौजूद है, जो कंडीशन सीरियस है और सही समय पर इलाज ना मिलने की वजह से उसकी मौत हो सकती है। ऐसी स्थिति में रास्ता नहीं देने वाले व्यक्ति को भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। इतना ही नहीं अगर ऐसी स्थिति में मरीज की रास्ते में ही मौत हो जाती है तो रास्ता नहीं देने वाले व्यक्ति को जेल हो सकती है।
इमरजेंसी गाड़ियों को लेकर क्या कहता है कानून
धारा 194E मोटर वाहन अधिनियम (संसोधित), 2019 के अनुसार अगर किसी ने भी इमरजेंसी गाड़ियों जैसी कि फायर सर्विस, एंबुलेंस या राज्य सरकार की लिस्टेड इमरजेंसी का गाड़ियों का रास्ता रोकने पर 6 महीने या उससे ज्यादा की जेल हो सकती है। इसके अलावा व्यक्ति या उससे अधिक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
पहले महज 500 था जुर्माना
2019 में केंद्र सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम में कई संशोधन किए थ। इसी के बाद ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि को बढ़ाया गया। पहले एंबुलेंस या फिर किसी इमरजेंसी गाड़ी का रास्ता रोकने पर महज 500 रुपए का चालान कटता था। पहले एंबुलेंस को रास्ता न देने पड़ सामुदायिक सेवा देने का प्रावधान था।