प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीकानेर दौरे को लेकर राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि हम उनका स्वागत ही कर रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर में सभी लोग सरकार के साथ थे। हमने देशहित में काम करने की सोच के साथ आगे बढ़ाया। सेना ने आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया, न कि नागरिक इलाकों पर। जिसकी हर ओर सराहना हुई, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ने अचानक ट्वीट करके सीज फायर का ऐलान कर दिया। कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की भी बात की। मैं प्रधानमंत्री मोदी से पूछना चाहता हूं कि अब तक आप चुप क्यों रहे? अभी तक क्यों नहीं कहा गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं होगी?
कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप की टिप्पणी
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का इस बीच अचानक सामने आना खतरनाक है, मैं ऐसा मानता हूं। अमेरिका को तीसरे पक्ष की भूमिका निभाने की इजाजत हम नहीं देंगे। पाकिस्तान से कश्मीर पर सीधे और स्पष्ट बातचीत होगी। किसी भी तरह की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी। ट्रंप का अचानक कश्मीर मसले पर ट्वीट करना और समाधान की पेशकश करना, यह जबरन ‘पंचायती’ करने जैसा है। उन्होंने सीजफायर की बात भी की थी, जिस पर सरकार को सफाई देनी चाहिए। यह जिम्मेदारी तो हमारी सरकार की थी, लेकिन दुर्भाग्यवश सरकार ने स्पष्टता नहीं दिखाई। इस पूरे मुद्दे को लेकर जनता की भारी प्रतिक्रिया देखी जा रही है, जिसे सरकार समझ नहीं पा रही है। मेरा मानना है कि भले ही अब तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है, लेकिन इसका राजनीतिक नुकसान अब भुगतना पड़ेगा।
शशि थरूर पर गहलोत का बड़ा बयान
अशोक गहलोत ने बयान में कहा कि शशि थरूर को लेकर मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस से जो भी चुना गया है। वह शानदार भूमिका निभाएगा, इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन जिस तरह से यह प्रक्रिया अपनाई गई, वह गलत है। हमने चार नाम दिए थे, लेकिन जानबूझकर नए नाम जोड़े गए। पार्टी शशि थरूर का सम्मान करती है। अगर सरकार को कोई प्रस्ताव देना था, तो उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष से संपर्क करना चाहिए था। वैसे भी होना तो यह चाहिए था कि शशि थरुर कांग्रेस के टिकट पर चुनकर लोकसभा पहुंचे हैं। ऐसे में यदि उनके पास कोई प्रस्ताव सरकार की तरफ से आया था तो उन्हें कहना चाहिए था, कि वह उनकी पार्टी के अध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष से पहले इसकी सहमति ले ली ऐसा करते तो बात ही कुछ अलग होती।
सीएम को जान से मारने की मिली धमकी
बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को बार बार जान से मारने की धमकी मिलना गंभीर चिंता का विषय है। जब मुख्यमंत्री ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता खुद को कैसे सुरक्षित महसूस करेगी? पुलिस क्या कर रही है? यह भी जनता को नहीं पता चल पा रहा है। जब भी यह सारी बातें पब्लिक डोमेन में आनी चाहिए थी। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
कंवरलाल मीणा की सदस्यता पर देरी
गहलोत ने कहा कि बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत 3 साल से ज्यादा की सजा मिलने के बाद सदस्यता को लेकर स्पीकर देवनानी द्वारा निर्णय में देरी हो रही है। ऐसा लगता है जैसे राज्यपाल किसी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। स्पीकर ने तो बिना एजेंडा डोटासरा को निलंबित कर दिया था। वह भी सिर्फ मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर। सीपी जोशी जब स्पीकर थे, तब सभी दलों के साथ समान व्यवहार करते थे। आज स्पीकर आरएसएस विचारधारा से प्रभावित हैं और पूर्व में बीजेपी नेता भी रहे हैं। हमने विपक्ष और पक्ष मिलकर उन्हें स्पीकर बनाया, तो उनका व्यवहार भी निष्पक्ष होना चाहिए।
सरकार पर आरएसएस का दबाव
अशोक गहलोत ने आरोप लगाया है कि आज सरकार पूरी तरह से दबाव में चल रही है। सभी फैसले आरएसएस मुख्यालय या दिल्ली से हो रहे हैं। दुर्भाग्य की बात है कि मुख्यमंत्री की बात तक नहीं सुनी जाती। सत्ता की गरिमा और लोकतांत्रिक मूल्यों का ध्यान रखना चाहिए।