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पीएम मोदी 12 साल बाद संघ मुख्यालय क्यों गए? जानें प्रधानमंत्री के संघ प्रमुख से मुलाकात के मायने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि के मौके पर रविवार को संघ मुख्यालय पहुंचे। इस दौरान उन्होंने आरएसएस की जमकर तारीफ की और संगठन के देश निर्माण में दिए योगदान के बारे में बताया।

Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: Mar 31, 2025 08:49
PM Modi RSS headquarters visit
PM Modi And RSS Chief Mohan Bhagwat

पीएम मोदी रविवार को 12 साल बाद संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय पहुंचे। संघ अपनी स्थापना का 100वां साल मना रहा है। पीएम मोदी रविवार को संघ मुख्यालय पहुंचे तो उस दिन चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष का पहला दिन था। इससे पहले पीएम मोदी 2013 में लोकसभा चुनाव के सिलसिले में हुई बैठक में शामिल होने के लिए नागपुर आए थे। इस दौरान पीएम ने संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर के स्मारक मंदिर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

पीएम ने माधव नेत्रालय की नई बिल्डिंग की आधारशिला रखते हुए संघ के कामों की जमकर तारीफ की। पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय चेतना के लिए जो विचार 100 साल पहले संघ के रूप में बोया गया था, वह आज महान वटवृक्ष के तौर पर दुनिया के सामने हैं। ये आज भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को लगातार ऊर्जावान बना रहा है। स्वयंसेवक के लिए सेवा ही जीवन है।

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तनातनी के बाद हुई सुलह

बता दें कि पीएम मोदी का अचानक संघ मुख्यालय पहुंचना राजनीतिक विश्लेषकों के लिए काफी हैरानी भरा रहा। लोकसभा चुनाव के समय जेपी नड्डा के बीजेपी के आत्मनिर्भरता वाले बयान के बाद बीजेपी और संघ नेतृत्व के बीच भौंहे तन गई थी। चुनाव नतीजों के बाद जब बीजेपी खुद के दम पर सरकार नहीं बना पाई तो संघ प्रमुख की ओर से कई बार ऐसे बयान दिए गए जो यह इशारा कर रहे थे कि बीजेपी की हार आखिरकार क्यों हुई? इसके बाद संघ की मेहनत और रणनीति के दम पर महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनी। अब खबर है कि बीजेपी और संघ में पार्टी के अध्यक्ष पद को लेकर तनातनी का माहौल है। ऐसे में पीएम मोदी का पहुंचना सभी अटकलों पर विराम देने जैसा है।

बीजेपी अध्यक्ष को लेकर बनी रणनीति

बीजेपी अध्यक्ष पद को लेकर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और मनोहरलाल खट्टर का नाम सबसे आगे चल रहा है। दोनों नेता संघ पृष्ठभूमि से आते हैं। सूत्रों की मानें तो बीजेपी आलाकमान इन दोनों नेताओं के पक्ष में नहीं है। पार्टी की ओर से धर्मेन्द्र प्रधान और भूपेंद्र यादव का नाम सबसे आगे चल रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या संघ और बीजेपी में अध्यक्ष पद को लेकर बातचीत फाइनल हो गई है।

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संघ की नजर विधानसभा चुनाव पर

इसके अलावा कुछ राजनीतिक विश्लेषक कयास लगा रहे हैं कि दोनों नेताओं के बीच 2029 लोकसभा चुनाव से पहले राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भी रणनीति बनी है। इसमें उत्तरप्रदेश, असम, तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल प्रमुख है। यूपी और असम में बीजेपी सरकार बनाने की हैट्रिक पर है। तो वहीं केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में बीजेपी पहली बार सरकार बनाने की कोशिश में जुटी है। बता दें कि आज भी देश में सबसे अधिक शाखाएं केरल में लगती है। ऐसे में बीजेपी का पूरा फोकस इन दिनों दक्षिण पर है। ताकि पार्टी का विस्तार हो सके।

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विपक्ष ने उठाए सवाल

इस बीच विपक्ष ने भी सवाल उठाए हैं। शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत ने कहा कि पीएम मोदी को आरएसएस की याद कैसे आई? आज ही उनको ये अहसास क्यों हुआ? पीएम मोदी लोगों से केवल सत्ता के लिए जुड़ते हैं। बीजेपी और आरएसएस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। पीएम मोदी ने खुद को और आरएसएस को बहुत कुछ दिया है। वहीं आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि पीएम मोदी और आरएसएस प्रमुख को जवाब देना चाहिए कि 100 साल में आरएसएस का प्रमुख दलित, पिछड़ा और आदिवासी क्यों नहीं बना? 100 साल में कोई महिला संघ प्रमुख क्यों नहीं बनी?

बता दें कि पीएम मोदी 1972 में आरएसएस से जुड़े। उसके बाद प्रचारक बने। फिर आरएसएस के जरिए बीजेपी में एंट्री हुई। गुजरात में संगठन की जिम्मेदारी मिली। 2001 में गुजरात के सीएम बने तो आरएसएस का मजबूत समर्थन मिला।

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Edited By

Rakesh Choudhary

First published on: Mar 31, 2025 08:49 AM

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