Operation Sindoor: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने पाकिस्तान को दहशत में डाल दिया है। हालांकि, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बाद अमेरिका ने मध्यस्था करते हुए शांति की पहल की थी। इसके बाद दोनों देशों के डीजीएमओ ने हॉटलाइन के जरिए बात कर सीजफायर का ऐलान किया था। मगर पाकिस्तान अपनी पुरानी आदतों की तरह एकबार फिर कायर निकला। घोषणा के 3 घंटे बाद ही पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन कर दिया। आज दोपहर 2:30 बजे तीनों सेनाओं की प्रेस ब्रीफिंग होने वाली है। इसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच एकबार फिर से हॉटलाइन के जरिए बात की जाएगी।
आखिर क्या है यह हॉटलाइन, जिसे भारत-पाक तनाव के लिए शांति की डोर माना जा रहा है?
सैन्य हॉटलाइन (Millitary Hotline) क्या है?
सैनिक हॉटलाइन जिसे मिलिटरी हॉटलाइंस भी कहा जाता है। दो देशों की सीमा के बीच संवाद करने का एक माध्यम होता है। इसमें बॉर्डर पर तनाव या आतंकी गतिविधियों के कारण हुए तनाव को कम करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला चैनल होता है। यह एक महत्वपूर्ण संवाद चैनल होता है, जो गलतफहमी और टकराव से बचने में मदद करता है।
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कौन करता है हॉटलाइन पर बात?
हॉटलाइन एक संचार माध्यम है। इसमें बात करने का अधिकार सिर्फ DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिटरी ऑपरेशन्स) को होता है। कोई भी आम नागरिक इस पर बात नहीं कर सकता है और न ही कोई अन्य सैनिक। यह बातचीत पूर्णता सिक्योर और कॉनफिडेंशल होती है।
आतंकी हमले के बाद लिए गए फैसले
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमला हुआ था जिसमें 26 भारतीयों ने अपनी जान गंवाई थी। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए थे जैसे वाघा-अटारी बॉर्डर को बंद करना और सिंधु जल समझौते पर रोक लगाना। इसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था, जिससे पाकिस्तान और पीओजेके के 9 आतंकी ठिकाने तबाह हो गए थे।
भारत-पाकिस्तान के बीच हॉटलाइन क्यों जरूरी?
ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच तनाव इतना बढ़ा कि युद्ध जैसी स्थितियां पैदा होने लगी थीं। इसके बाद दोनों देशों की सेना के डीजीएमओ ने हॉटलाइन के जरिए आपस में बात कर युद्ध विराम की घोषणा की थी। मगर महज 3 घंटों के अंदर-अंदर ही पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन कर दिया। भारत ने भी आदेश दे दिए हैं कि पाकिस्तान द्वारा किसी भी अटैक को अब एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा।
दोनों देशों के बीच हॉटलाइन की महत्वता बहुत अधिक है। हालांकि, इससे युद्ध को टालने में मदद ज्यादा नहीं मिलेगी लेकिन कोशिश की जा सकती है। हॉटलाइन गलतफहमियों को दूर करने में सहायता मिलती है। अनजाने में होने वाली सैन्य झड़पों को रोका जा सकता है और शांति बरकरार की जा सकती है।
Armed Forces reveal details of damage done to Pakistani air bases in retaliation to cross-border attacks
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— ANI Digital (@ani_digital) May 12, 2025
लाखों लोगों और सैनिकों की जान की रक्षा
हॉटलाइन की मदद से दो देशों के बीच पैदा हो रही गलतफहमियां और युद्ध जैसी स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। दरअसल, जब भी देशों के बीच वॉर होती है, तो उसमें लाखों नागरिकों की भी जान जाती है। युद्ध सैनिकों का बलिदान मांगती है, जो कि किसी एक नहीं बल्कि दोनों देशों की सेना के होते हैं। युद्ध देश की अर्थव्यवस्था को भी कमजोर बना देते हैं।
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