---विज्ञापन---

देश

परमाणु बम फटा तो कितनी दूर तक होगी तबाही, जानें कब तक रहेगा इसका असर?

Nuclear Bomb Blast: परमाणु बम दुनिया के खतरनाक हथियारों में से एक है। इसका एक विस्फोट लाखों लोगों की जान ले सकता है। जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम से हमला हुआ था। इसके ब्लास्ट होने में कई लोगों की जानें चली गई थीं। इसके साथ ही कई सालों तक लोग इसके दंश झेलते रहे। आइए जानते हैं कि परमाणु बम के विस्फोट से कितना और कितनी दूर तक का नुकसान हो सकता है।

Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: May 13, 2025 22:04
Hiroshima and Nagasaki (1)

Nuclear Bomb Blast: परमाणु बम (एटम बम) या न्यूक्लियर बम दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों में से एक है, जो पल भर में लाखों लोगों की जान ले सकता है। यह बम यूरेनियम या प्लूटोनियम जैसे खास पदार्थों से बनता है। जब ये पदार्थ टूटते हैं तो इस क्रिया को न्यूक्लियर फिशन कहते हैं, जो परमाणु बम में होती है। वहीं, जब ये पदार्थ मिलते हैं तो न्यूक्लियर फ्यूजन होता है, जिसे थर्मोन्यूक्लियर बम (हाइड्रोजन बम) कहते हैं। न्यूक्लियर बम से ज्यादा तबाही थर्मोन्यूक्लियर बम से होती है। हालांकि पाकिस्तान के पास ये बम होने की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।

जब न्यूक्लियर विस्फोट होता है तो बहुत ज्यादा ऊर्जा निकलती है। यह ऊर्जा इतनी ताकतवर होती है कि एक छोटा सा बम पूरे शहर को तबाह कर सकता है। यह ऊर्जा सूरज की तरह गर्मी और रोशनी पैदा करती है, लेकिन इसका असर जानलेवा होता है।

---विज्ञापन---

तीन प्रकार से नुकसान पहुंचाता है परमाणु बम

परमाणु बम विस्फोट तीन तरीके से नुकसान पहुंचाता है। पहला जब बम फटता है, तो बहुत तेज हवाएं और दबाव की लहरें निकलती हैं। ये हवाएं 1000 किलोमीटर प्रति घंटा से भी तेज हो सकती हैं। यह ऐसा है जैसे कोई विशाल तूफान आ जाए, जो इमारतें, पेड़, गाड़ियां, और हर चीज को पल में उड़ा दे। दूसरा बम से निकलने वाली गर्मी सूरज जितनी गर्म (6000-7000 डिग्री सेल्सियस) होती है। यह गर्मी लोगों की त्वचा को जला देती है, कपड़ों और पेड़ों में आग लगा देती है, और आसपास की चीजें पिघला देती है।

तीसरा नुकसान सबसे बड़ा और काफी लंबा होता होता है। तीसरा नुकसान रेडिएशन का होता है इसमें बम फटने के बाद हवा में एल्फा, बीटा और गामा जैसे जहरीले कण फैलते हैं। ये कण हवा, पानी, और मिट्टी को जहरीला कर देते हैं। अगर कोई इनके संपर्क में आए, तो उसे कैंसर, खून की बीमारी, या दूसरी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। ये रेडिएशन लंबे समय तक खतरा बना रहता है।

---विज्ञापन---

कितनी दूर तक होता है नुकसान

परमाणु बम की तबाही का दायरा इस बात पर निर्भर करता है कि बम कितना ताकतवर है। बम की ताकत को किलोटन या मेगाटन में मापते हैं। 1 किलोटन मतलब 1000 टन TNT (एक तरह का विस्फोटक) जितनी ताकत होता है। यह भी मायने रखता है कि बम जमीन पर या हवा में फटा है। हिरोशिमा में बम हवा में फटा था।

आज के परमाणु बम हैं दोगुने ताकतवर

आज के परमाणु बम और भी ताकतवर हैं। आज के समय में 100 किलोटन तक के बम हैं। अगर 100 किलोटन का बम फटेगा, तो 5-10 किलोमीटर तक भारी तबाही होगी। लाखों लोग तुरंत मर जाएंगे, इमारतें पूरी तरह ढह जाएंगी और हर तरफ आग फैल जाएगी। 10-20 किलोमीटर तक मध्यम नुकसान होगा। जबकि इमारतें आंशिक रूप से टूटेंगी, लोग घायल होंगे। 20-50 किलोमीटर तक और हल्का नुकसान होगा, जैसे खिड़कियां टूटना और लोगों छोटी चोटें आना आदि हो सकता है।

रेडिएशन के कण 100-150 किलोमीटर तक फैल सकते हैं, जिससे लाखों लोग बीमार हो सकते हैं। अगर 1 मेगाटन (1000 किलोटन) का बम फटे, तो 15-20 किलोमीटर तक भारी नुकसान और 50 किलोमीटर तक हल्का नुकसान होगा। रेडिएशन का असर सैकड़ों किलोमीटर तक हो सकता है, जो पूरे क्षेत्र को लंबे समय तक खतरे में डाल देगा।

हिरोशिमा में हवा में फटा था एटम बम

6 अगस्त 1945 में जापान के शहर हिरोशिमा में ‘लिटिल बॉय’ नाम का 15 किलोटन का बम फटा था। यह बम हवा में 580 मीटर की ऊंचाई पर फटा था। यह हमला अमेरिका ने किया था। इससे करीब 1,40,000 लोगों की जान चली गई थी। इसमें ज्यादातर लोग आम नागरिक थे। 1-2 किलोमीटर के दायरे में सब कुछ खत्म हो गया था। इमारतें धूल में मिल गईं, लोग तुरंत मर गए, और गर्मी ने हर चीज को जला दिया। गर्मी इतनी थी कि लोगों की त्वचा जल गई, कपड़े और पेड़ों में आग लग गई।

बम फटने के बाद ‘काली बारिश’ हुई, जिसमें रेडिएशन के जहरीले कण थे। यह बारिश 29 किलोमीटर तक फैल गई और लोगों को बीमार कर दिया। रेडिएशन से कैंसर, खून की बीमारी, और बच्चों में जन्मजात बीमारियां बढ़ीं। हिरोशिमा में आज फिर से लोग बस गए हैं, लेकिन कुछ लोग अभी भी रेडिएशन की बीमारियों से जूझ रहे हैं। यह घटना दुनिया के लिए एक सबक थी कि परमाणु बम का इस्तेमाल कितना खतरनाक है।

सब कुछ हो गया था खत्म

हिरोशिमा में जहां बम फटा वहां 2 किलोमीटर के दायरे में सब कुछ पूरी तरह खत्म हो गया था। इमारतें धूल में मिल गईं थी, वहां मौजूद लोग तुरंत मर गए और गर्मी ने हर चीज को जला दिया। वहां का नजारा ऐसा था कि जैसे वहां पहले कुछ भी नहीं था।

2-5 किलोमीटर के दायरे में इमारतों को बहुत नुकसान हुआ था। खिड़कियां टूटने के साथ ही दीवारें गिरीं और लोग बुरी तरह घायल हो गए थे। गर्मी से आग लगी, जिसने और तबाही मचाई। हालांकि 5-10 किलोमीटर के दायरे में हल्का नुकसान हुआ। इन जगहों पर भी कुछ इमारतों में दरारें आई थीं और लोगों को छोटी-मोटी चोटें आई थीं। वहीं, रेडिएशन काफी सालों तक रहा। रेडिएशन के जहरीले कण हवा के साथ 50-100 किलोमीटर तक फैल गए। यह हवा की दिशा और मौसम पर निर्भर करता है। इन कणों ने पानी और खाने को भी जहरीला कर दिया, जिससे लोग बीमार पड़ गए थे। इसके बाद भी कई सालों तक वहां लोग बीमार ही पैदा हुए। इस बम का असर वहां दशकों तक रहा।

नागासाकी में फटा था 21 किलोटन का बम

नागासाकी में ‘फैट मैन’ नाम का 21 किलोटन का बम फटा था। इससे करीब 74,000 लोगों की जान चली गई। यहां पहाड़ों की वजह से तबाही 6.7 वर्ग किलोमीटर तक सीमित रही लेकिन गर्मी और ब्लास्ट ने भारी नुकसान किया। इमारतें ढह गईं, लोग जल गए, और रेडिएशन ने हजारों लोगों को बीमार किया। बम फटने के बाद काली बारिश हुई, जिसमें जहरीले कण थे। इन कणों ने पानी और मिट्टी को जहरीला कर दिया, जिससे लोग लंबे समय तक बीमार पड़े। रेडिएशन से कैंसर और दूसरी बीमारियां बढ़ीं। नागासाकी में भी अब लोग बस गए हैं, लेकिन रेडिएशन का असर अभी भी कुछ लोगों पर दिखता है। इन हमलों के बाद जापान ने 15 अगस्त 1945 को हार मान ली, और दूसरा विश्व युद्ध खत्म हो गया।

कैसे गिराया जाता है परमाणु बम?

परमाणु बम का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जा सकता है। ये तरीके इसे और खतरनाक बनाते हैं, क्योंकि इसे दूर-दूर तक पहुंचाया जा सकता है। हिरोशिमा और नागासाकी में बी-29 विमानों से बम गिराए गए थे। इन विमानों ने ऊंचाई पर उड़कर बम को निशाने पर छोड़ा था। आज भी कुछ देश विमानों से परमाणु बम ले जा सकते हैं। भारत के पास मिराज 2000H और पाकिस्तान के पास F-16A/B जैसे विमान हैं, जो परमाणु बम ले जाने में सक्षम हैं।

भारत की अग्नि और पाकिस्तान की शाहीन मिसाइलें परमाणु बम ले जा सकती हैं। ये मिसाइलें हजारों किलोमीटर तक मार कर सकती हैं। भारत की INS अरिहंत जैसी पनडुब्बियां समुद्र से परमाणु बम दाग सकती हैं। कुछ देश ड्रोन या क्रूज मिसाइलों से भी परमाणु बम ले जा सकते हैं। यह नई तकनीक है, जो छोटे और सटीक हमलों के लिए है। इन साधनों की वजह से परमाणु बम का खतरा और बढ़ गया है।

परमाणु बम का असर कितने साल तक रहता है?

परमाणु बम का असर तुरंत और लंबे समय तक रहता है। यह कई तरह से नुकसान करता है। तुरंत असर में, ब्लास्ट और गर्मी से लाखों लोग पल में मर सकते हैं। इमारतें, सड़कें, और बिजली-पानी की व्यवस्था खत्म हो जाती है। यह ऐसा है जैसे पूरा शहर एक झटके में गायब हो जाए। कुछ दिन से हफ्तों तक, रेडिएशन से हवा, पानी, और मिट्टी जहरीली हो जाती है। लोग इसे सांस लेने, खाने, या पानी पीने से बीमार पड़ते हैं। इससे त्वचा जलने, उल्टी, और कमजोरी जैसी समस्याएं होती हैं। लंबे समय तक (20-50 साल), रेडिएशन से कैंसर, खून की बीमारी, और बच्चों में जन्मजात बीमारियां हो सकती हैं। खास तत्व जैसे सिजियम-137 और स्ट्रॉन्शियम-90 दशकों तक मिट्टी और पानी में रहते हैं। रेडिएशन से खेती की जमीन बंजर हो सकती है। पानी जहरीला हो जाता है, और जानवरों की प्रजातियां खत्म हो सकती हैं। यह पूरे पर्यावरण को बर्बाद कर सकता है।

First published on: May 13, 2025 09:15 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें