Nimisha Priya Latest Update: भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी के मामले में नया मोड़ आ गया है। दावा किया गया था कि भारतीय ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद पीड़ित परिवार से बातचीत करके निमिषा की सजा माफ कराने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यमन के पीड़ित तलाल अब्दो महदी के परिवार ने ग्रैंड मुफ्ती से कोई बात होने से इनकार कर दिया है। साथ ही उन्होंने निमिषा को फांसी दिए जाने की तारीख तय करने की मांग भी की है।
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फेसबुक पोस्ट लिखकर दिया स्पष्टीकरण
बता दें कि तलाल अब्दो महदी के भाई अब्दुल फतह महदी ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी। इसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रतिशोध का कोई विकल्प नहीं है। उन्हें तलाल के लिए इंसाफ चाहिए और निमिषा से हर हाल में प्रतिशोध लेना है। गत 16 जुलाई को निमिषा की सजा रद्द नहीं हुई थी। भारतीय ग्रैंड मुफ्ती के कार्यालय की ओर से झूठा दावा किया गया था।
अब्दुल फतह महदी ने कहा कि उनकी भारतीय ग्रैंड मुफ्ती से मामले में मध्यस्थता को लेकर कोई बात नहीं हुई। तलाल का परिवार और वह भारतीय ग्रैंड मुफ्ती से या मामले में मध्यस्थता करने वाले किसी भी संगठन या व्यक्ति से मुलाकात करना ही नहीं चाहते। अगर निमिषा की सजा रद्द होने की बात सच होती तो तलाल का परिवार सबसे पहले इसकी घोषणा करता।
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क्या है निमिषा प्रिया का मामला?
बता दें कि निमिषा प्रिया भारतीय नर्स है, जिसे यमन में अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के लिए दोषी ठहराते हुए साल 2020 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। निमिषा साल 2017 से सना की जेल में कैद है। गत 16 जुलाई 2025 को निमिषा को फांसी दी जानी थी, लेकिन ऐन मौके पर फांसी को टाल दिया गया।
दावा किया गया कि भारतीय ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद के हस्तक्षेप से फांसी की सजा टाली गई है, लेकिन इस दावे को पीड़ित तलाल के भाई ने सिरे से खारिज कर दिया है। बता दें कि निमिषा की मां ने पीड़ित तलाल के परिवार को 8.6 करोड़ की ब्लड मनी ऑफर की है, लेकिन पीड़ित परिवार प्रतिशोध लेने की बात पर अड़ा है।
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कौन हैं भारतीय ग्रैंड मुफ्ती?
शेख अबूबकर अहमद भारत के 10वें ग्रैंड मुफ्ती हैं, जिन्हें साल 2019 में नई दिल्ली के रामलीला मैदान में गरीब नवाज शांति सम्मेलन में पद सौंपा गया था। वे सुन्नी मुस्लिम समुदाय के नेता हैं और ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा के महासचिव हैं।
उनकी तरफ से दावा किया गया है कि उन्होंने यमन के सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज के साथ मिलकर मृतक तलाल के साथ निमिषा के परिवार की बातचीत का रास्ता खोला, ताकि शरिया कानून के तहत ‘ब्लड मनी’ के जरिए निमिषा को माफी की संभावना तलाशी जा सके।