New Parliament Building: कांग्रेस और अठारह अन्य विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है, जिसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बिना भवन का उद्घाटन करने का निर्णय राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करना है। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर राष्ट्रपति मुर्मू को दरकिनार करने का आरोप लगाया।
और पढ़िए – Delhi Vs Centre Ordinance Row: केजरीवाल आज उद्धव ठाकरे से करेंगे मुलाकात, 25 को एनसीपी चीफ से मिलेंगे
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना, ये देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है। संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।
राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना – यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।
---विज्ञापन---संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 24, 2023
19 विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम को बहिष्कार किए जाने पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि ये ऐतिहासिक क्षण है। इसमें राजनिती नहीं करनी चाहिए। बहिष्कार कर एक बिना-बात का मुद्दा बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं उनसे अपने इस निर्णय पर फिर से विचार करने की अपील करूंगा और कृपया कर इसमें शामिल हों। स्पीकर संसद का संरक्षक होता है और स्पीकर ने प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया है।
#WATCH | Correction | Parliamentary Affairs Minister Pralhad Joshi says, "I would like to tell them that this is a historical event. This is not the time of politics…Boycotting and making issues out of a non* issue is most unfortunate. I appeal to them to reconsider their… https://t.co/D4fY0PPi7Q pic.twitter.com/E6MbW3lSpM
— ANI (@ANI) May 24, 2023
केसी वेणुगोपाल बोले- आप लोकतांत्रित सिद्धांतों और प्रोटोकॉल को कमजोर कर रहे हैं
कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ये राष्ट्रपति और भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को कमज़ोर करता है। आप लोकतांत्रिक सिद्धांतों और प्रोटोकॉल को कमज़ोर कर रहे हैं इसलिए कांग्रेस पार्टी ने सभी समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों से बात की और वह इस कार्यक्रम को बहिष्कार करने के लिए तैयार हुए। अगर राष्ट्रपति नए संसद भवन का उद्घाटन कर रही हैं तो आप (प्रधानमंत्री) एक मुख्य अतिथि के रूप में वहां मौजूद रह सकते हैं लेकिन आप उनकी (राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति) मौजूदगी नहीं चाहते।
#WATCH | Congress party discussed with all like-minded parties to boycott the inaugural function of the new Parliament building on 28th May. We are very happy that all opposition parties are coming together to fight against this: Congress general secretary-organisation KC… pic.twitter.com/NSlxZ5iCmx
— ANI (@ANI) May 24, 2023
आप सांसद संजय सिंह बोले- राष्ट्रपति को नहीं बुलाना आदिवासी समाज का अपमान
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि नई संसद के उद्घाटन में देश की राष्ट्रपति को नहीं आमंत्रित करना, ये आदिवासी समाज, दलित समाज, पिछड़े समाज का अपमान है और ये प्रदर्शित करता है कि बीजेपी की मानसिकता आदिवासी, दलित और पिछड़ा विरोधी है, वरना संसद के उद्घाटन में अगर आप राष्ट्रपति को ही नहीं बुला रहे हैं तो फिर आप क्या संदेश देना चाहते हैं? AAP पार्टी इस कार्यक्रम का बहिष्कार करेगी और हम लोग इस कार्यक्रम में नहीं जाएंगे।
19 विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम को बहिष्कार किए जाने पर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की उप महासचिव कनिमोझी ने कहा कि वो सही तरह से नहीं किया जा रहा और जो तरीका अपनाया जाना चाहिए वह नहीं अपनाया जा रहा इसलिए विपक्षी दलों ने बहिष्कार करने का फैसला किया है।
इन दलों ने किया है उद्घाटन समारोह का बहिष्कार
कांग्रेस, डीएमके, आम आदमी पार्टी, शिव सेना (यूटीबी), समाजवादी पार्टी, सीपीआई, झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरला कांग्रेस, वीसीके, राष्ट्रीय लोकदल, टीएमसी, जनता दल यूनाइटेड, एनसीपी, सीपीआई (एम), राष्ट्रीय जनता दल, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, आरएसपी, एमडीएमके।
और पढ़िए – Maharashtra News: ‘प्रजातंत्र को बचाने के लिए हम साथ-साथ…’, अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के बाद बोले उद्धव ठाकरे
अमित शाह बोले- इस मौके पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जिवित होगी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद का नवनिर्मित भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस नई संचरना को रिकॉर्ड समय में बनाने के लिए करीब 60,000 श्रमयोगियों ने अपना योगदान दिया है। इस अवसर पर पीएम सभी श्रमयोगियों का सम्मान भी करेंगे।
PM Modi will dedicate the newly constructed building of Parliament to the nation on 28th May. A historical event is being revived on this occasion. The historic sceptre, 'Sengol', will be placed in new Parliament building. It was used on August 14, 1947, by PM Nehru when the… pic.twitter.com/NJnsdjNfrN
— ANI (@ANI) May 24, 2023
अमित शाह ने कहा कि इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी। इसके पीछे युगों से जुड़ी हुई एक परंपरा है। इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है। 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी। इसके 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है।
अमित शाह ने कहा कि सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी। यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। इसकी जानकारी पीएम मोदी को मिली तो गहन जांच करवाई गई। फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया।
सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से उपयुक्त और पवित्र स्थान कोई और हो ही नहीं सकता इसलिए जिस दिन नए संसद भवन को देश को समर्पित किया जाएगा उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु से आए हुए अधीनम से सेंगोल को स्वीकार करेंगे और लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इसे स्थापित करेंगे।
और पढ़िए – देश से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ पढ़ें