North India Monsoon Rain Report: मानसून सीजन वापसी की दौर में है और मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार इस बार मानसून के बादल खूब बरसे। इस बार मानसून की बारिश ने देशभर में तबाही भी खूब मचाई है। वहीं उत्तर भारत के लिए मानसून सीजन 11 साल में पहली बार सबसे अच्छा मानसून सीजन रहा, क्योंकि 11 साल में पहली बार मानसून में सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड हुई। इस सीजन में उत्तर भारत में 7.1% ज्यादा बादल बरसे। वहीं साल 2020 के बाद पहली बार पूरे देश में सबसे ज्यादा बारिश देखी गई।
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— dinesh sundlia (@dineshsundlia) September 30, 2024
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उत्तर भारत में मानसून की बारिश के आंकड़े
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर भारत में भूजल के हालात काफी खराब हैं और अकसर देश के इस जोन को मानसून में कम बारिश का प्रकोप झेलना पड़ता है, लेकिन इस बार एक जून से 29 सितंबर तक मानसून सीजन में 628 मिलीमीटर बारिश हुई है। साल 2013 के बाद यह बारिश सबसे ज्यादा है। वहीं अगर दशक की बात करें तो इस बार नॉर्थ इंडिया में मौसमी बारिश काफी अच्छी हुई है। हालांकि इस बार मानसून सीजन में सामान्य से 7.1% अधिक बारिश हुई है, लेकिन यह प्रतिशत नेशनल एवरेज 7.8% से कम है।
इस रिकॉर्ड को देखा जाए तो उत्तर भारत में पिछले कुछ वर्षों में जून-सितंबर में बहुत अधिक बारिश नहीं हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर भारत में इस बार सितंबर के चौथे सप्ताह तक भी बारिश होती रही। मैदानी इलाकों में पहाड़ी इलाकों की तुलना में अच्छी बारिश हुई। पंजाब को छोड़कर उत्तर भारत के अन्य राज्यों में मैदानी इलाकों में इस बार अच्छी बारिश देखने को मिली और यह बारिश उत्तर प्रदेश में रबी की फसलों के लिए मिट्टी की नमी के लिए बहुत अच्छा संकेत हैं।
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मध्य, पूर्वी, दक्षिण भारत में बारिश का रिकॉर्ड
रिपोर्ट के अनुसार, इस मानसून में अब तक सामान्य से सबसे ज्यादा बारिश मध्य भारत में हुई है। यहां सामान्य से लगभग 20% अधिक 1165.6 मिलीमीटर बारिश हुई। यह बारिश साल 2019 के बाद मध्य भारत में हुई सबसे अधिक बारिश है। साल 2019 में मध्य भारत में सामान्य से 29 प्रतिशत ज्यादा 1263.2 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड हुई थी। मध्य भारत के बाद दक्षिण भारत में सबसे अधिक बारिश रिकॉर्ड हुई। एक जून से 29 सितंबर तक दक्षिण भारत में 14.3 प्रतिशत ज्यादा 811.4 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड हुई। पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में मानसून 2024 में 13.7% कम बारिश हुई।
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बंगाल में खाड़ी सबसे ज्यादा वेदर एक्टिविटीज हुईं
रिपोर्ट के अनुसार, मौसम विभाग ने अनुमान लगाया था कि प्रशांत महासागर में ला नीना और हिंद महासागर में सकारात्मक मौसमी गतिविधियां होंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। IMD प्रमुख मृत्युंजय महापात्र कहते हैं कि इस बार मानसून सीजन में MJO नामक भूमध्यरेखीय तूफान जून के अंत से सितंबर के मध्य तक एक्टिव रहा, जिससे बंगाल की खाड़ी में सामान्य से ज्यादा लो प्रेशर वाला साइक्लोनिक सर्कुलेशन बना, जो बारिश का कारण बना।
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