Martial Law Explainer: थाईलैंड और कंबोडिया में सीमा विवाद गहरा गया है, इसलिए थाईलैंड की सरकार ने कंबोडिया की सीमा से सटे 2 राज्यों के 8 जिलों में मार्शल लॉ लागू कर दिया है। चंथाबुरी और ट्राट राज्यों में तैनात सेना के कमांडर एपिचार्ट सैप्रासर्ट ने बताया कि चंथाबुरी के 7 जिलों मुआंग चंथाबुरी, था माई, माखम, लाम सिंग, काएंग हैंग माएव, ना याई अम और खाओ खिचाकुट में मार्शल लॉ लागू किया गया है। ट्राट राज्य का खाओ समिंग जिला भी मार्शल लॉ के दायरे में रहेगा। मार्शल लॉ क्या होता है और यह आपातकाल से कितना अलग है? आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं…
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क्या होता है मार्शल लॉ?
मार्शल लॉ किसी देश में लागू की जाने वाली वह व्यवस्था है, जिसमें देश की सेना को प्रशासन और कानून व्यवस्था का कंट्रोल सौंप दिया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो मार्शल लॉ लागू होने के बाद न कोई सरकार होती है, न प्रशासन, न पुलिस और न ही कानून व्यवस्था, बल्कि जहां मार्शल लॉ लगाया गया है, वहां सेना का राज हो जाता है। वहां का प्रशासन, कानून और न्याय व्यवस्था सब कुछ सेना हो जाती है। सेना के नियम और आदेश ही उस इलाके में लागू होते हैं।
कब लगाया जाता है मार्शल लॉ?
मार्शल लॉ आपातकालीन परिस्थितियों में लागू किया जाता है। युद्ध छिड़ जाए, गृह युद्ध के हालात बनें, प्राकृतिक आपदा आ जाए या अशांति फैलने का खतरा हो तो संबंधित इलाके में सरकार मार्शल लॉ लागू कर सकती है। मार्शल लॉ पूरे देश में लगाया जा सकता है। किसी एक राज्य में या किसी एक शहर में भी लगाया जा सकता है।
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मार्शल लॉ लगने पर क्या होता है?
मार्शल लॉ लागू हो जाने के बाद स्थानीय प्रशासन खत्म हो जाता है। पुलिस और न्याय व्यवस्था की जगह सेना के कानून और नियम लागू हो जाते हैं। नागरिक अधिकार जैसे बोलने की आजादी, जनसभा करने का अधिकार, प्रेस की स्वतंत्रता और मौलिक अधिकार सीमित हो जाते हैं। लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। सेना चाहे तो कर्फ्यू भी लगा सकती है। लोगों से जुड़े मामलों की सुनवाई सामान्य अदालत की बजाय सेना की कोर्ट में हो सकती है। देश की सरकार को भी अतिरिक्त शक्तियां मिलती हैं। सरकार बिना किसी मुकदमे के किसी को हिरासत में ले सकती है या उसकी संपत्ति जब्त कर सकती है।
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आपातकाल से कितना अलग है मार्शल लॉ?
मार्शल लॉ और आपातकाल दोनों अलग हैं। मार्शल लॉ जब लगाया जाता है, जब स्थानीय प्रशासन पूरी तरह फेल हो जाता है और कानून व्यवस्था बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। वहीं आपातकाल राष्ट्रीय संकट से निपटने के लिए लगाया जाता है। मार्शल लॉ में मिलिट्री का काफी बड़ा रोल होता है, लेकिन आपातकाल में मिलिट्री का रोल सीमित होता है। मार्शल लॉ में मिलिट्री का कंट्रोल ज्यादा हो जाता है। आपातकाल में सारी शक्तियां केंद्र सरकार के हाथों में आ जाती है।
मार्शल लॉ में स्थानीय सरकार और सामान्य अदालतों को सस्पेंड कर दिया जाता है। आपातकाल के दौरान लोअर कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट सस्पेंड नहीं होती हैं। मार्शल लॉ में कुछ मौलिक अधिकार निलंबित हो सकते हैं, लेकिन आपातकाल में नागरिक कानून, अदालतें और मौलिक अधिकार पूरी तरह निलंबित हो सकते हैं। मार्शल लॉ में सीधे सेना राज करती है, लेकिन आपातकाल राष्ट्रपति, संसद और कार्यपालिका द्वारा लागू किया जाता है और इसमें सेना सहायक की भूमिका निभाती है।
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मार्शल लॉ अराजकता, विद्रोह, दंगे या गृहयुद्ध होने पर लागू किया जाता है। आपातकाल युद्ध, बाहरी आक्रमण, आंतरिक अशांति या आर्थिक संकट जैसी परिस्थितियों में लागू हो सकता है। मार्शल लॉ अनिश्चित काल तक लागू रह सकता है, जबकि आपातकाल की अवधि को समय-समय पर बढ़ाया जा सकता है या समाप्त किया जा सकता है।
आपातकाल भारत में 1975-1977 में लगा था। उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संवैधानिक प्रावधानों के तहत आपातकाल घोषित कर दिया था। वहीं मार्शल लॉ साल 2007 में पाकिस्तान में लगा था। परवेज मुशर्रफ ने मार्शल लॉ लागू करके देश का कंट्रोल सेना के हाथ में दे दिया था।