Manipur Violence: मणिपुर में जारी अशांति के बीच इंटेलिजेंस सूत्रों ने बड़ा दावा किया है। इंटेलिजेंस के सूत्रों का कहना है कि मणिपुर में अशांति फैलाने के लिए जिन हथियारों का इस्तेमाल किया गया था, उनकी तस्करी म्यांमार के रास्ते की गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस महीने म्यांमार के रास्ते मणिपुर में हथियारों की एक बड़ी खेप आई थी।
गोपनीय सूत्रों से यह भी पता चला है कि मणिपुर में सक्रिय विद्रोही समूहों ने तीन वाहनों में हथियारों का एक बड़ा जखीरा खरीदा गया था। कथित तौर पर ये हथियार मणिपुर ले जाए जाने से पहले म्यांमार-चीन सीमा के पास स्थित काले बाज़ार से लाए गए थे। इस बीच, सीमा पर असम राइफल्स बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है, जबकि भारत-म्यांमार खुली सीमा पर निगरानी रखी जा रही है।
इंफाल में हथियारों की तस्करी के आरोप में 4 गिरफ्तार
हथियार तस्करी के मामले में मंगलवार को सुरक्षा टीम ने एक आईआरबी जवान समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। ये गिरफ्तारियां इंफाल पूर्वी जिले में एक तलाशी अभियान के दौरान की गईं।
हथियार तस्करों के एक गिरोह की मौजूदगी के संबंध में एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए, इम्फाल पूर्वी जिला कमांडो, हेइनगांग पुलिस और 16वीं जाट रेजिमेंट की एक संयुक्त टीम ने कैरांग अवांग लीकाई, खोमिदोक और हेइख्रुमाखोंग में तलाशी अभियान चलाया। तलाशी के दौरान हथियार और गोला-बारूद, 2.5 लाख रुपये नकद, कुछ मोबाइल फोन और दो चार पहिया वाहन बरामद किए गए।
100 से ज्यादा लोगों की जा चुकी है जान
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को पहली बार झड़पें हुईं।
मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी नागा और कुकी आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।