General Election 1951 Unopposed Winner Story: लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मियों के बीच याद करते हैं आजाद भारत के पहले आम चुनाव को, जिन्होंने देश का नक्शा ही बदल कर रख दिया था। यूं तो देश के पहले आम चुनाव से जुड़े कई यादगार किस्से हैं, लेकिन आइए उस दौर के उन नेताओं के बारे में बात करते हैं, जिन्हें एक भी वोट नहीं मिला था, फिर भी वे चुनाव जीतकर सांसद बने थे।
ऐसा एक नहीं 5 लोकसभा सीटों पर हुआ था। चुनाव जीतने वाले नेता थे- बिलासपुर से आनंद चंद, कोयंबटूर से TA रामालिंगा, हालार सौराष्ट्र से मेजर जनरल HS हिमानसिंह, रायगढ़ा फूलबनी से T संगाना, यादगीर हैदराबाद से कृष्ण चंद जोशी, जो बिना लड़े चुनाव जीते थे।
As khadi was an integral part of the Indian freedom struggle, Raja Anand Chand made people aware of the importance of khadi. By 1940, all school children wore khadi as their school uniform.When a British resident arrived in Bilaspur in 1942,he saw people only with khadi cloths pic.twitter.com/YVgLDh8vGZ
---विज्ञापन---— History Plus + 🇮🇳 (@historyplusIN) August 27, 2021
कौन थे आनंद चंद्र और कैसे बिना लड़े चुनाव जीते?
आनंद चंद्र बिलासपुर रियासत के 44वें राजा थे। उन्होंने आजाद भारत का पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें एक भी वोट नहीं मिला था, क्योंकि रियासत में रहने वाले एक भी शख्स ने वोट नहीं डाला था, जबकि रियासत में 68130 वोटर थे। क्योंकि एक भी वोट नहीं मिला था, इसलिए चुनाव आयोग ने उन्हें अनकंटेस्टेड घोषित करते हुए विजेता बना दिया था।
इस तरह आनंद चंद्र को 1951 के आम चुनाव में बिलासपुर लोकसभा सीट से निर्विरोध सांसद चुना गया। 1954 तक वे सांसद रहे। 1 जुलाई 1954 को बिलासपुर रियासत का हिमाचल प्रदेश में विलय हो गया। बिलासपुर का हिमाचल प्रदेश का राज्य घोषित कर दिया गया। आनंद चंद्र भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे। वे भारतीय संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में बिहार का प्रतिनिधित्व करते थे।
Bilaspur was established as a Class “C” State on 26 January 1950 within the Republic of India. Class “C” States were under the direct rule of the Central Government.
Chief Ministers
Anand Chand 1948-50
K.S. Himmatsinhji 1950-52(26/31) One Nation One Election | Union of States pic.twitter.com/JxeZEWPjjn
— Sarkari System (@SarkariSystem) September 3, 2023
कोयंबटूर और यादगीर उम्मीदवार भी बिना लड़े जीते थे
चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक, मद्रास की कोयंबटूर और हैदराबाद की यादगीर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी भी बिना लड़े चुनाव जीत गए थे, क्योंकि इन दोनों क्षेत्रों में भी किसी ने मतदान नहीं कया था। कोयंबटूर में 3.46 लाख वोटर थे। टीए रामलिंगा कांग्रेस के उम्मीदवार थे। यादगीर में 3.62 लाख वोटर्स थे। कृष्ण चंद जोशी ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों को निर्विरोध सांसद चुना गया।