Aurangabad water crisis vs liquor debate: महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले अब छत्रपति संभाजीनगर के नाम से जाना जाता है यहां के लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। पूरा शहर पानी की किल्लत से जूझ रहा है। हालांकि, यहां पानी की समस्या पर कोई बात करने को तैयार नहीं है। लोकसभा चुनाव से पहले जैसे-जैसे राजनीतिक माहौल गर्म होता जा रहा है, यहां पार्टियों के बीच शराब प्रमुख मुद्दा बन गई है। वहीं, लोगों ने नोटा का जिक्र कर पार्टियों की परेशानी बढ़ा दी है।
13 मई को महाराष्ट्र की 11 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी है। इसमें औरंगाबाद सीट भी शामिल है। यहां पर शिंदे गुट ने संदीपन भुमरे को उम्मीदवार बनाया है। भुमरे को शराब कारोबारी बताकर विपक्षी पार्टियां उन पर लगातार हमला बोल रही हैं। विपक्ष का आरोप है कि उनके पास नौ शराब की दुकानें हैं, हालांकि उन्होंने इस आरोप से इनकार किया है। उनका दावा है कि उनकी पत्नी के नाम दो शराब की दुकानें हैं, जिसका जिक्र चुनावी हलफनामे में भी है।
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विपक्ष का तीखा हमला
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार चंद्रकांत खैरे ने भुमरे पर जोरदार हमला बोलते हुए एक रैली में कहा कि पांच बार विधायक रहे मेरे प्रतिद्वंदी का पूरा फोकस लगातार शराब की दुकानें खोलने पर रहा है। यही नहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी भुमरे पर तंज कसने का मौका नहीं छोड़ रहे हैं।
जल संकट की बजाय शराब पर बात
इस शोर-शराबे के बीच, मतदाता इस बात को लेकर परेशान हैं कि शहर में जल संकट की समस्या के बजाय नेता शराब पर बात कर रहे हैं. स्थानीय लोगों को कहना है कि न तो सत्तारूढ़ महायुति और न ही विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) पानी की समस्या का समाधान करने के बारे में सोच रही है। हमें बोरवेल और निजी टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। हमारी समस्या ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से भी अधिक है।
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औरंगाबाद में त्रिकोणीय मुकाबला
बता दें कि इस बार औरंगाबाद में त्रिकोणीय मुकाबला है. 2019 में एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील ने 4,492 वोटों से जीत दर्ज की थी। शिंदे गुट की तरफ से संदीपन भुमरे मैदान में हैं, जबकि उद्धव गुट ने चंद्रकांत खैरे को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी ने अफसर खान को मैदान में उतारा है।