Law Commission report:(कुमार गौरव ) एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसके चलते अक्टूबर माह के अंत तक की रिपोर्ट सरकार के पास पहुंच जाएगी। वहीं, आपको बता दें कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के मामले में आयोग कुछ ठोस नतीजे पर पहुंचा है। अहम् नतीजा है कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ तकनीकी रूप से संभव है।
लॉ कमीशन रिपोर्ट में की बड़ी सिफारिश
लॉ कमिशन की ओर से रिपोर्ट में की गई सिफारिश के अनुसार, डीलिमिटेशन के बाद 2029 में लोकसभा और सभी विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराए जाए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चरणबद्ध ढंग से एक देश एक चुनाव को 10 साल में फैलाने से कोई लाभ नहीं होगा, इसलिए एक झटके में सभी चुनाव करवाना बेहतर विकल्प है। लिहाजा, चुनाव की यह प्रक्रिया लगभग 4 से 6 महीने तक चल सकती है। इसके साथ ही ऐसा करने से अधिक से अधिक विधानसभाएं एक साथ चुनाव के दायरे में आ जाएंगी।
‘एक देश एक चुनाव के लिए राज्यों से सहमति अनिवार्य नहीं’
सूत्रों के मिली जानकारी के अनुसार, आयोग का यह भी मानना है कि एक देश एक-चुनाव के लिए राज्यों से सहमति लेना अनिवार्य नहीं है। आपको बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 368 के क्लॉज 2 से आयोग ने यह निष्कर्ष निकाला है। वहीं, आपको बताते हैं कि आयोग यह सिफारिश करने जा रहा है कि 2026 में डीलिमिटेशन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद एक देश एक चुनाव के रास्ते पर बढ़ा जाए, इससे विधानसभाओं और लोकसभा में सीटों की संख्या का सही-सही पता चल जाएगा और चुनाव आयोग के लिए लॉजिस्टिक्स के सही फैसले लिए जा सकेंगे।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट को रखा सीमित
चुनाव के दौरान पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने के पहलू पर भी आयोग ने गौर किया है। विभिन्न एजेंसियों से मिले फीडबैक के अनुसार, अगर चुनाव 3 से 6 महीने तक फैलाए जाएंगे तो सुरक्षाकर्मियों को पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक शिफ्ट करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। इसी के साथ ही आयोग ने अपनी रिपोर्ट को लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करने तक ही सीमित रखा है।