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कश्मीर की कानून-व्यवस्था में हुआ सुधार, देखें- अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद कैसे बदले रिकॉर्ड

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त करने के तीन साल बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में काफी बेहतर सुधार देखने को मिला है। यह 2016-2018 और 2019-2021 के बीच गृह मंत्रालय और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा दर्ज आंकड़े बताते हैं। पाकिस्तान द्वारा काला […]

Edited By : Nitin Arora | Updated: Aug 5, 2022 18:58
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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त करने के तीन साल बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में काफी बेहतर सुधार देखने को मिला है। यह 2016-2018 और 2019-2021 के बीच गृह मंत्रालय और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा दर्ज आंकड़े बताते हैं।

पाकिस्तान द्वारा काला दिवस मनाए जाने और अलगाववादियों के बंद के आह्वान के बावजूद घाटी में स्थिति सामान्य है। सोपोर में विद्रोहियों द्वारा कुछ पोस्टर लगाए जाने और बीती रात पुलवामा में बिहार के एक मुस्लिम मजदूर पर ग्रेनेड हमले की घटनाओं को छोड़कर देखें तो अभी तक पथराव, सड़क पर हिंसा या स्कूल-कॉलेज बंद करने की कोई घटना सामने नहीं आई है।

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गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और जेकेपी पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह के नेतृत्व में घाटी में अलगाववादियों और धार्मिक चरमपंथियों पर लगातार दबाव बनाने से कानून-व्यवस्था की घटनाओं में 600 प्रतिशत की गिरावट आई है (5 अगस्त 2019 के बाद)।

गृह मंत्रालय और जेकेपी द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, अगर दो तीन साल की अवधि की तुलना की जाए तो चरमपंथ से संबंधित घटनाओं में 21 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।

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31 जुलाई, 2022 तक की रिपोर्ट बताती है कि कश्मीर और जम्मू क्षेत्रों में 166 आतंकवादी (86 स्थानीय और 80 विदेशी नागरिक) सक्रिय हैं। वर्ष 2021 में 44 शीर्ष कमांडर मारे गए और इस साल 18 शीर्ष आतंकवादी कमांडर अब तक मारे जा चुके हैं।

आतंकवाद विरोधी अभियानों में 11 सुरंगों का पता लगाने में भी कामयाबी हासिल हुई। डेटा 5 अगस्त 2016 से 4 अगस्त 2019 तक बताता है कि घाटी में 4,894 कानून-व्यवस्था की घटनाएं हुईं। डेटा बताता है कि 5 अगस्त, 2019 से पहले के तीन वर्षों में कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में 126 नागरिक मारे गए थे, जबकि अगले तीन वर्षों में 116 नागरिक मारे गए। इसी तरह, पिछले तीन वर्षों में कश्मीर में पुलिस कर्मियों की हत्या में 51 प्रतिशत की गिरावट आई है।

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Written By

Nitin Arora

First published on: Aug 05, 2022 06:58 PM

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