सौरभ कुमार, पटना
Lalan Singh resigns: राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने शुक्रवार को जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह नीतीश कुमार को पार्टी का नया अध्यक्ष बनाया गया है। यह फैसला जदयू की दिल्ली के कॉस्टीट्यूशन क्लब में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लिया गया।
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ललन सिंह से नाराजगी की खबर सियासी गलियारों में जोरशोर से चल रही थी। सवाल यह है कि इस नाराजगी की वजह क्या है? आइए जानते हैं, इसकी आठ बड़ी वजहें…
1- जेडीयू में दो पावर सेन्टर नहीं चाहते नीतीश कुमार
नीतीश कुमार अपनी पार्टी जेडीयू में दो पावर सेंटर नहीं चाहते। इसीलिए समय-समय पर पावर का बंटवारा करते आए हैं। चाहे शरद यादव हो या फिर ललन सिंह … इन्हें नीतीश ने खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया और समय आने पर हटाया भी।
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2- ललन सिंह से पार्टी के ज्यादातर विधायक नाराज
ऐसा कहा जाता है कि ललन सिंह से पार्टी के ज्यादातर सांसद और विधायक नाराज थे। सांसदों और विधायकों की शिकायत थी कि ललन सिंह उनसे मिलते नहीं हैं। इस्तीफे की ये भी एक बड़ी वजह बताई जाती है.
3- राजद से ललन सिंह की बढ़ती नजदीकियां
दरअसल, नीतीश कुमार को लग रहा है कि ललन सिंह, राजद सुप्रीमो लालू यादव और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के ज्यादा करीब हो गए हैं। ये बात नीतीश कुमार को अच्छी नहीं लग रही थी।

ललन सिंह (फाइल फोटो)
4. नीतीश कुमार से किए वादे को पूरा करने में विफल रहे ललन सिंह
बताया जाता है कि ललन सिंह ने नीतीश कुमार से वादा किया था कि अगर उन्हें जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है तो वे देशभर में पार्टी का विस्तार करेंगे। इसी वादे पर भरोसा करके नीतीश ने 31 जुलाई 2021 को ललन सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था, लेकिन वे चुनाव में पार्टी को कामयाबी दिलाने में विफल रहे।
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5. चुनावी समर में भी फेल दिखे ललन सिंह
जदयू ने गुजरात विधानसभा चुनाव में 2022 में एक सीट पर उम्मीदवार को उतारा, लेकिन हार गई। 2022 में ही पंजाब की दो सीटों पर हार हुई। यूपी में जेडीयू ने 2022 में 27 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन सब पर हार गई। इसी तरह, 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में JDU ने सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन किसी पर भी जीत नहीं हुई। इसी साल मेघालय में जेडीयू ने तीन उम्मीदवार उतारे, लेकिन किसी को भी जीत नसीब नहीं हुई। पार्टी ने 2023 में ही मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में 10 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन सभी हार गए।

नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
6. पार्टी की बैठक में शामिल नहीं होते थे ललन सिंह
ललन सिंह पार्टी की कई बैठकों में शामिल नहीं होते थे। इसके साथ ही, वे पार्टी पदाधिकारियों, सांसदों, विधायकों और प्रकोष्टों के साथ बैठक भी नहीं करते थे।
7. ललन सिंह के कारण पार्टी में बढ़ रहा था अंसतोष
ललन सिंह के कारण पार्टी के अंदर असन्तोष बढ़ रहा था। कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने ललन सिंह और अशोक चौधरी के बीच तू-तू, मैं-मैं हुई थी।
8. ललन सिंह का अड़ियल रवैया और व्यवहार
ललन सिंह के इस्तीफे की पीछे उनका अड़ियल रवैया और व्यवहार भी जिम्मेदार है, जो कार्यकर्ताओं को पसंद नहीं आता था। कई कार्यकर्ता उनके व्यवहार से नाराज थे।










