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केरल विधानसभा में हंगामे के बीच निजी विश्वविद्यालय बिल पारित, एजुकेशन सिस्टम पर क्या-क्या असर?

केरल विधानसभा में मंगलवार को सरकार निजी विश्वविद्यालय विधेयक लेकर आई। इसे हंगामे के बीच पास करवा लिया गया। अब केरल में निजी विश्वविद्यालय के संचालन की देखरेख और इसके कानूनी मसौदों की तैयारी का जिम्मा गवर्निंग काउंसिल के 12 सदस्यों को दिया गया है। इनमें 3 प्रतिनिधि सरकारी होंगे।

Author Edited By : Parmod chaudhary Updated: Mar 25, 2025 18:32
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केरल विधानसभा में मंगलवार को विपक्ष के भारी हंगामे के बीच निजी विश्वविद्यालय विधेयक (Private Universities Bill) पारित कर दिया। इससे राज्य में निजी विश्वविद्यालयों के संचालन का रास्ता साफ हो गया है। विषय समिति की ओर से की गई जांच के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया गया। इससे पहले विपक्ष ने बहस के दौरान बिल को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। राज्य की उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदु ने विधेयक को लेकर कहा कि यह केरल के शिक्षा क्षेत्र के लिए बड़ा कदम है। उन्होंने आश्वासन दिया कि निजी विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक मानकों को बनाए रखने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएंगे। विपक्षी दलों द्वारा संशोधन, फीस स्ट्रक्चर और एडमिशन प्रोसेस को लेकर सवाल उठाए गए।

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विपक्ष ने इस बिल को सैद्धांतिक रूप से खारिज नहीं किया, लेकिन अपनी आपत्तियां सरकार के समक्ष रखीं। विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने इस बात पर चिंता जताई कि निजी विश्वविद्यालयों की वजह से अब सरकारी विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रभावित होंगे। सतीशन ने कहा कि हम विधेयक का पूरी तरह से विरोध नहीं करते हैं, लेकिन हमें यह देखने की जरूरत है कि इससे सार्वजनिक विश्वविद्यालय प्रभावित न हों। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कॉरपोरेट शिक्षा एजेंसियों को ही प्राइवेट यूनिवर्सिटीज स्थापित करने का मौका मिले। इन एजेंसियों ने केरल के एजुकेशन सेक्टर को डेवलप करने में कदम उठाए हैं।

काउंसिल में 12 सदस्य होंगे

सरकार को सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को प्राथमिकता देनी चाहिए और निजी संस्थानों की जवाबदेही तय करनी चाहिए। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार केरल राज्य निजी विश्वविद्यालय (स्थापना और विनियमन) विधेयक निजी विश्वविद्यालयों के प्रमुख निर्णय लेने वाले निकायों में सरकारी प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करता है। इससे निजी संस्थानों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है। विश्वविद्यालय के संचालन की देखरेख और इसके कानूनों का मसौदा तैयार करने के लिए गवर्निंग काउंसिल के 12 सदस्यों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनमें 3 सरकारी प्रतिनिधि भी शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक उच्च शिक्षा विभाग के सचिव, एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी और सरकार द्वारा नामित अधिकारी को काउंसिल में शामिल किया जाएगा।

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छात्र परिषद का होगा गठन

विश्वविद्यालय की स्पॉन्सर बॉडी में 4 सदस्यों को नामित किया जाएगा। प्रत्येक पाठ्यक्रम में 40 फीसदी सीटें केरल के स्थायी निवासियों के लिए रिजर्व होंगी। सभी वर्गों को आरक्षण का लाभ राज्य की नीतियों के अनुसार दिया जाएगा। वीसी के नेतृत्व में हर यूनिवर्सिटी में एक छात्र परिषद का गठन जरूरी होगा। परिषद में 10 छात्र प्रतिनिधि शामिल होंगे, जिनमें SC/ST समुदायों से 1 और कम से कम 2 छात्राएं शामिल होंगी। निजी विश्वविद्यालयों में शिक्षण, शोध, विकास और ट्रेनिंग की समय-समय पर देखरेख होगी।

आरएमपी ने किया विरोध

उच्च शिक्षा क्षेत्र में इनोवेशन और डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए काम किया जाएगा। वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि केरल से लगातार छात्र पलायन कर रहे हैं। क्या नया कानून इसको रोकने में कारगर रहेगा? क्रांतिकारी मार्क्सवादी पार्टी (RMP) के विधायक केके रेमा ने विधेयक का कड़ा विरोध किया। अंत में ध्वनिमत से स्पीकर एएन शमसीर ने विधेयक को पारित किया। अब इस विधेयक को कानून बनने से पहले राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है।

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First published on: Mar 25, 2025 06:32 PM

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