Karnataka News: रेबीज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए ‘निष्क्रिय इच्छामृत्यु’ (Passive Euthanasia) के अधिकार की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की। जिसको लेकर अब दो हफ्ते में फैसला आएगा। निष्क्रिय इच्छामृत्यु या सम्मान के साथ मरने के अधिकार को लेकर कई बार कोर्ट में सुनवाई होती है। कर्नाटक में सालों से सम्मान के साथ मरने के अधिकार के लिए प्रचारक रहीं एच बी करिबासम्मा भी इसको लेकर लड़ाई लड़ रही हैं। उनकी यह लड़ाई खत्म हो चुकी है, क्योंकि राज्य सरकार ने गंभीर रूप से बीमार रोगियों को सम्मान के साथ मरने का अधिकार देने का आदेश दिया है।
राज्य सरकार ने दी मंजूरी
कर्नाटक में एच बी करिबासम्मा में अब सम्मान के साथ मरने के अधिकार की पहली लाभार्थी बनने जा रही हैं। क्योंकि राज्य सरकार ने 30 जनवरी को एक परिपत्र जारी किया, जिसमें गंभीर रूप से बीमार रोगियों को सम्मान के साथ मरने का अधिकार देने का आदेश दिया गया है। अब करिबासम्मा को इस काम में होने वाली सभी फॉर्मेलिटीज के पूरा होने का इंतजार है। करिबासम्मा पिछले 24 सालों से इच्छामृत्यु के अधिकार के लिए लड़ती आ रही हैं। इस फैसले को उन्होंने अपने सालों के संघर्ष का परिणाम बताया है।
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करिबासम्मा को क्या बीमारी है?
करिबासम्मा पिछले तीन दशकों से भी ज्यादा समय तक स्लिप्ड डिस्क की परेशानी से जूझत रही हैं। हाल ही में उन्हें पता चला कि उनको कैंसर भी है। इस दौरान उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता गया। इसके बावजूद उन्होंने सम्मान के साथ मरने के अधिकार की लड़ाई जारी रखी। जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के अलावा सुप्रीम कोर्ट को भी लेटर लिखे हैं। हालांकि हाई कोर्ट ने 2018 में निष्क्रिय इच्छामृत्यु को वैध कर दिया था , लेकिन अब कर्नाटक ने सम्मान के साथ मरने के अधिकार को लागू करने का फैसला किया है।
क्या है सम्मान के साथ मरने का अधिकार?
ऐसा कोई भी शख्स जो गंभीर और लाइलाज बीमारी से पीड़ित होता है, वह अपना इलाज जारी नहीं रखना चाहता है, तो उसको सम्मान के साथ मरने का अधिकार दिया जा सकता है। इसके तहत जिस अस्पताल में उस मरीज का इलाज चल रहा होगा, वह इलाज रोक दिया जाता है। जिससे प्राकृतिक रूप से मरीज की जान जा सके। आपको बता दें कि राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडू राव ने इच्छामृत्यु को लेकर साफ तौर पर कहा है कि यह केवल उन लोगों पर लागू होगा, जो जीवन रक्षक प्रणाली पर हैं या जिनके स्वास्थ्य में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं देखा जा रहा है।
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