Kargil Vijay Diwas: भारत के इतिहास की तारीख में 1999 का साल ऐसे दर्ज हो गया है कि इसको भुलाया नहीं जा सकता है। यह वही साल था जब हमारे 527 जवानों ने देश के लिए अपनी जान गवां दी थी। दरअसल, पाकिस्तानी घुसपैठ के बाद भारत में जंग के हालात बन गए थे। पाकिस्तान से जंग के हालात मई से शुरू होकर जुलाई तक बने रहे। आखिर में पाकिस्तानी सेना के वापस जाने के बाद इस जंग को समाप्त किया गया। भारत ने आधिकारिक तौर पर 26 जुलाई 1999 को ‘ऑपरेशन विजय’ के सफल होने का ऐलान किया। इन तीन महीनों में देश में क्या-क्या हुआ? जंग के दौरान भारतीय सैनिकों के सामने कई चुनौतियां थीं। यहां पढ़िए कारगिल युद्ध की पूरी टाइमलाइन।
3 मई को मिली थी घुसपैठ की जानकारी
पाकिस्तान की घुसपैठ की पहली जानकारी सेना तक 3 मई 1999 को पहुंची। यह जानकारी वहां के कुछ लोगों ने दी थी। उन्होंने बताया कि कारगिल की पहाड़ियों में कुछ लोगों को देखा है। इसके बाद ही भारतीय सेना वहां पर एक्टिव हो गई। 5 मई को सेना ने जानकारी मिलने के बाद पेट्रोलिंग के लिए कुछ जवानों को भेजा, जिसमें 5 जवान शहीद हो गए। पाकिस्तान की तरफ से 9 मई को पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना पर तोप के गोले छोड़े। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच जंग की शुरुआत हो गई।
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कारगिल की पहाड़ियों पर लड़ा गया युद्ध
पाकिस्तान और भारत सैनिकों के बीच लद्दाख के कारगिल जिले में लड़ा गया था। उस समय कारगिल जम्मू-कश्मीर का भाग था। इस जंग को भारत की तरफ से ऑपरेशन विजय नाम दिया गया। ये बर्फ से जमी पहाड़ियां 16,500 फीट (5,000 मीटर) से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित हैं। ऑपरेशन विजय का समर्थन करने के लिए भारतीय वायु सेना ने भी ऑपरेशन सफेद सागर नाम का ऑपरेशन शुरू किया।
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5 जुलाई से 26 जुलाई तक समाप्त हुआ युद्ध
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 5 जुलाई को नवाज शरीफ ने ऐलान किया कि वह अपनी सेना को भारत से वापस बुला रहे हैं। इसके बाद 11 जुलाई से उनकी वापसी होने लगी। 12 जुलाई को सभी पाकिस्तानी वापस चले गए। उस वक्त के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस ऑपरेशन के सफल होने का ऐलान किया। वहीं, 26 जुलाई को इस जंग के खत्म होने का ऑफिशियल ऐलान किया।
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