जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को बीजेपी पर निशाना साधा. इस दौरान अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार को लेह, लद्दाख में हुई हिंसा से सबक लेने की सलाह दी.
ये विरोध प्रदर्शन लंबे समय से लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर जारी है. जम्मू-कश्मीर के लोग भी 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से राज्य के दर्जे की ऐसी ही मांग कर रहे हैं.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, फारूक अब्दुल्ला ने लेह में हुई हिंसा के लिए सरकार के अधूरे वादों के बाद हुई निराशा को जिम्मेदार ठहराया और इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर को भी राज्य का दर्जा दिए जाने के संबंध में इसी तरह के आश्वासन दिए गए थे.
कल हमारे बच्चे क्या करेंगे…- फारूक अब्दुल्ला
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कभी गांधीवादी रास्ता नहीं छोड़ा है. हमने कभी पत्थर नहीं उठाए या बम नहीं फेंके. वास्तव में, हमने बलिदान दिए हैं… कल क्या होगा हमारे बच्चे क्या करेंगे, उसका मैं कुछ नहीं कह सकता’.
फारूक अब्दुल्ला ने लेह में हुई हिंसा के लिए सरकार द्वारा उनके वादों को पूरा नहीं करने के लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की अशांति लोगों की शिकायतों को दिखाती है, न कि बाहरी प्रभावों को. उन्होंने सोनम वांगचुक के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों, जिनमें भूख हड़ताल और लेह से दिल्ली तक नंगे पैर मार्च शामिल है, का भी जिक्र किया.
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JKNC प्रमुख ने लद्दाख जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में खतरों के बारे में भी चेतावनी दी, विशेष रूप से चीन के अस्थिरता के प्रयासों के कारण और केंद्र से आग्रह किया कि वह लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने और आगे तनाव को रोकने के लिए उनके साथ ईमानदारी से बातचीत करे.
सोनम वांगचुक पांच साल से भूख हड़ताल पर हैं- अब्दुल्ला
अब्दुल्ला ने कहा, ‘हिंसा का कारण यह था कि वह (सोनम वांगचुक) 14 दिनों से भूख हड़ताल पर थे… पांच साल से, वह वहां चुपचाप विरोध कर रहे हैं कि उन्हें छठी अनुसूची में सूचीबद्ध किया जाए और राज्य का दर्जा भी दिया जाए. यहां तक कि उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए लेह से दिल्ली तक नंगे पैर पैदल यात्रा की… युवाओं ने सोचा होगा कि पांच साल पहले किए गए सारे वादे खोखले थे. नतीजतन, वे अपना असंतोष नहीं रोक पाए और हिंसा का रास्ता चुन लिया.
उन्होंने भाजपा कार्यालय, पुलिस वाहन और कई अन्य इमारतों को जला दिया. पुलिस को बंदूकों का इस्तेमाल करना पड़ा और रिपोर्टों के अनुसार, चार लोग मारे गए हैं और कई गंभीर रूप से घायल हैं’.