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हालात कठिन…विपरीत परिस्थितियां, फिर भी कैसे सफल हुआ ‘बाहुबली’ कम्युनिकेशन सैटेलाइट का लॉन्च? ISRO चीफ ने बताया

इसरो ने आज 2 नवंबर को शाम 5:26 बजे बाहुबली रॉकेट से 4400 किलो का सैटेलाइट लॉन्च किया. ये भारतीय जमीन से जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) तक लॉन्च होने वाला सबसे भारी सैटेलाइट है. ये नौसेना की कम्युनिकेशन क्षमताओं को और मजबूत करेगा.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Versha Singh Updated: Nov 2, 2025 19:23

इसरो ने आज 2 नवंबर को शाम 5:26 बजे बाहुबली रॉकेट से 4400 किलो का सैटेलाइट लॉन्च किया. ये भारतीय जमीन से जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) तक लॉन्च होने वाला सबसे भारी सैटेलाइट है. ये नौसेना की कम्युनिकेशन क्षमताओं को और मजबूत करेगा.

ISRO के LVM3-M5 रॉकेट से CMS-03 कम्युनिकेशन सैटेलाइट के लॉन्च पर, ISRO चीफ वी. नारायणन ने कहा, CMS-03 सैटेलाइट एक मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन सैटेलाइट है जो भारतीय जमीन सहित एक बड़े समुद्री इलाके को कवर करता है और इसे कम से कम 15 सालों तक कम्युनिकेशन सर्विस देने के लिए डिजाइन किया गया है.

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उन्होंने आगे बताया, इस सैटेलाइट में कई नई टेक्नोलॉजी शामिल हैं और यह आत्मनिर्भर भारत का एक और शानदार उदाहरण है. मैं देश की कम्युनिकेशन क्षमता के लिए इस महत्वपूर्ण, जटिल सैटेलाइट को बनाने के लिए ISRO के अलग-अलग सेंटर्स में फैली पूरी सैटेलाइट टीम को बधाई देता हूं.

हमने पहली बार विकसित की C-25 क्रायोजेनिक स्टेज

ISRO चीफ वी. नारायणन ने कहा, लॉन्च कैंपेन के दौरान हमारा समय काफी मुश्किल और चुनौतीपूर्ण था. मौसम भी ज़्यादा साथ नहीं दे रहा था. लेकिन मैं इस मौके पर आप सभी की तारीफ करना चाहता हूं कि इस मुश्किल मौसम में भी हम सफल रहे और इस मिशन को शानदार और सफल तरीके से पूरा किया… मैं एक और महत्वपूर्ण एक्सपेरिमेंट के बारे में भी बताना चाहता हूं जो हमने किया है वो है स्वदेशी रूप से विकसित C-25 क्रायोजेनिक स्टेज. पहली बार, हमने सैटेलाइट को सफलतापूर्वक ऑर्बिट में डालने और स्टेज को रीओरिएंट करने के बाद, थ्रस्ट चैंबर को सफलतापूर्वक इग्नाइट किया है. यह एक बहुत बड़ा एक्सपेरिमेंट होने वाला है, जो भविष्य में क्रायोजेनिक स्टेज को फिर से शुरू करने के लिए डेटा देगा ताकि बाहुबली रॉकेट LVM-3 का इस्तेमाल करके कई सैटेलाइट्स को अलग-अलग ऑर्बिट में रखने के लिए मिशन में फ्लेक्सिबिलिटी मिल सके.

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क्या-क्या है शामिल?

GTO (29,970 km x 170km) एक अंडाकार ऑर्बिट है. रॉकेट ने इस ऑर्बिट में सैटेलाइट छोड़ दिया है. अब 3-4 दिन बाद सैटेलाइट इंजन फायर होगा और ये ऑर्बिट को सर्कुलर कर लेगा. इसे जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (GEO) कहते हैं. इसमें सैटेलाइट 24 घंटे कवरेज दे सकता है.

इससे पहले ISRO ने चंद्रयान-3 मिशन में 3900 KG पेलोड GTO में भेजा था. GTO में भेजा गया दुनिया का सबसे भारी सैटेलाइट इकोस्टार 24 (जुपिटर 3) है. इसका वजन लॉन्च के समय करीब 9,000 किलो था. इसे स्पेसएक्स के फाल्कन हैवी रॉकेट से लॉन्च किया गया था.

क्यों खास है ये सैटेलाइट?

इसरो ने कहा कि रविवार के मिशन का उद्देश्य यह है कि बहु-बैंड संचार उपग्रह सीएमएस-03 भारतीय भूभाग सहित एक विस्तृत समुद्री क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करेगा. यह सैटेलाइट भारतीय नौसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए खास तौर पर बनाए गए स्वदेशी लेटेस्ट कंपोनेंट्स के साथ नेवी की स्पेस-बेस्ड कम्युनिकेशन और समुद्री इलाके की जानकारी रखने की कैपेबिलिटी को मजबूत करेगा. भारतीय नौसेना ने कहा कि यह सैटेलाइट अब तक का भारत का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, जिसका वजन लगभग 4,410 किलोग्राम है.

यह भी पढ़ें- समुद्र में भी छिप नहीं पाएगा दुश्मन, अंतरिक्ष से नजर रखेगी भारत की ये सैटेलाइट, ताकत जान कांप जाएगा पाकिस्तान!

First published on: Nov 02, 2025 07:11 PM

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