IPL 2025 में 28 अप्रैल दिन सोमवार को 14 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी ने इतिहास का दूसरा सबसे तेज शतक लगाया। वैभव ने 35 गेंदों में 101 रन बनाकर इतिहास रचा। सोमवार को जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में राजस्थान रॉयल्स और गुजरात टाइटन्स के बीच इंडियन प्रीमियर लीग का मैच खेला गया। इस मैच में वैभव ने टी-20 क्रिकेट में सबसे तेज शतक लगाने वाले सबसे कम उम्र के मेल क्रिकेटर होने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया। वैभव ने महाराष्ट्र के पूर्व बल्लेबाज विजय हरि जोल का रिकॉर्ड तोड़ा दिया है। 18 साल 118 दिन की उम्र में हरि जोल ने 21 मार्च 2013 को शतक बनाया था।
वैभव ने 17 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया। इसके बाद 18 गेंद और खेलकर शतक पूरा किया। वैभव के शतक की बदौलत राजस्थान रॉयल्स ने गुजरात टाइटन्स के खिलाफ 210 रनों का लक्ष्य 15.5 ओवर में हासिल कर लिया। इसके साथ ही राजस्थान रॉयल्स का 5 मैचों में हार का सिलसिला खत्म हो गया। वैभव की उपलब्धि से राजस्थान रॉयल्स के साथ-साथ पूरे बिहार, वैभव के गांव और परिवार में खुशी और जश्न का माहौल है। वैभव के परिजनों ने बेटे की उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की। 14 वर्षीय प्रतिभाशाली खिलाड़ी वैभव के करियर को उड़ान देने में उसके पिता-माता का बड़ा योगदान है।
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वैभव की चाची और दादा बेहद खुश
वैभव की सफलता से उनके चाचा राजीव कुमार सूर्यवंशी और दादी उषा सिंह बेहद खुश हैं। वैभव के चाचा राजीव ने ANI से बात करते हुए कहा कि परिवार को, गांव के हर शख्स को वैभव पर गर्व है। परिवार और ग्रामीण बेहद खुश हैं। वैभव की सफलता हमारे जिले, बिहार राज्य और भारत देश के लिए गर्व की बात है। वैभव के पिता ने उनकी सफलता में बहुत योगदान दिया है। वैभव के पिता भी क्रिकेट खिलाड़ी थे। इसलिए वह चाहते थे कि उनका बेटा भी क्रिकेट के क्षेत्र में ही आगे बढ़े।
वैभव की दादी उषा सिंह ने भी पोते की सफलता पर अपनी भावनाएं साझा कीं। उन्होंने ANI से कहा कि मैं वैभव को बधाई देती हूं। वह 3 साल की उम्र से ही क्रिकेट में रुचि रखता है। मैं ईश्वर से उसकी सफलता की प्रार्थना करती हूं।
Who said records are only for the big names? 😉
Vaibhav Suryavanshi, at 1⃣4⃣, is now among the elites of #TATAIPL 🫡#RRvGT pic.twitter.com/IY86O9g4pX
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कोच ने सुनाई वैभव की सफलता की कहानी
वैभव के कोच मनीष ओझा ने बताया कि वैभव ने 9 साल की उम्र में उनसे ट्रेनिंग लेनी शुरू की। ट्रेनिंग के लिए वह हर दूसरे दिन अपने गांव समस्तीपुर से पटना तक 100 किलोमीटर का सफर करके आता था। वह हर दूसरे दिन कोचिंग लेने आता था और सुबह 7:30 बजे से ट्रेनिंग शुरू कर देता था और शाम तक ट्रेनिंग लेता था। 4 साल से वैभव ट्रेनिंग के इसी शेड्यूल को फॉलो कर रहा है। उनके परिवार ने बहुत त्याग किया है। वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए अपनी जमीन बेच दी थी।
ओझा ने कहा कि वैभव को बिहार में प्रसिद्धि मिलती रही, लेकिन इसमें उसके माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उसकी मां सुबह 4 बजे उठकर वैभव के लिए खाना बनाती थी। उसके पिता उसके साथ ट्रेनिंग पर और मैच देखने जाते थे। हमने कोच के तौर पर योगदान दिया, लेकिन उसके माता-पिता ही उसकी प्रेरक शक्ति हैं। वैभव और उसके पिता ने बहुत पहले ही तय कर लिया था कि बेटा क्रिकेट खेलेगा। पिता क्रिकेट खेलना चाहते थे, लेकिन वे नहीं खेल पाए। इसलिए उन्होंने अपने बेटे के जरिए अपने सपने को जीने की कोशिश की।