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सीतारमण के अंतरिम बजट से क्या चाहते हैं मिडिल क्लास करदाता? क्या इस बार पूरी होंगी उम्मीदें?

Interim Budget 2024 And Middle Class Taxpayers: आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए उम्मीद लगाई जा रही है कि 1 फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट में मध्यमवर्गीय करदाताओं को राहत दी जा सकती है।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Jan 11, 2024 21:19
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Finance Minister Nirmala Sitharaman will present Interim Budget on 1st February 2024
Finance Minister Nirmala Sitharaman (ANI)

Interim Budget 2024 And Middle Class Taxpayers : जब भी बजट पेश होने वाला होता है तो देश की आबादी के विभिन्न हिस्सों के बीच राहतों और फायदों की उम्मीद तेज हो जाती है। और अगर बजट चुनाव से ठीक पहले आने वाला हो तो कहना ही क्या। जब बात मुफ्त में मिलने वाली चीजों की हो, राहत योजनाओं की हो, पैसे मिलने की हो, तब टैक्स देने वाले लोगों को भी बजट से कुछ उम्मीदें होती हैं।

हालांकि, आबादी का यह हिस्सा छोटा सा ही है और सरकार भी प्राथमिकता हाशिये पर मौजूद उन लोगों को देती है जिन्हें इसकी ज्यादा जरूरत है। लेकिन टैक्स देने वाले लोगों की जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस बार यह वर्ग उम्मीद कर रहा है कि आगामी अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इनकम टैक्स में फायदे और राहतों का ऐलान करेंगी।

तेज हुई है प्रत्यक्ष कर वसूली

डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन उछाल पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में अगले 10 साल में निजी टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन 19 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जाने की उम्मीद जताई जा रही है। प्रति व्यक्ति आय में इजाफा होने से वित्त वर्ष 2022-23 में नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 16.61 लाख करोड़ रुपये था। 2012-14 में ये आंकड़ा 6.38 लाख करोड़ रुपये था।

इसे देखते हुए सीतारमण जनता हितैषी टैक्स मानकों पर विचार कर सकती हैं और अपने अंतरिम बजट में उन्हें राहत दे सकती हैं। इस वर्ग को राहत देना राजनीतिक नजरिए से भी सही है क्योंकि लोकसभा चुनाव भी अब सिर पर ही हैं। ये फैक्टर टैक्स देने वालों की उम्मीदों का आधार जरूर हो सकते हैं, लेकिन यह भी सच है कि चुनावी मौसम हर वर्ग में उम्मीदों को पर लगा देता है।

कैसा था पिछला अंतरिम बजट

अगर पिछले अंतरिम बजट को देखेंगे तो पता चलेगा कि ये टैक्स और राहतों को नजरअंदाज नहीं करते। 2019 के अंतरिम बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने टैक्स के ढांचे में कोई बदलाव नहीं किया था। लेकिन मध्यम वर्गीय करदाताओं को बड़ी राहत देते हुए पांच लाख रुपये सालाना तक की आय वालों को टैक्स से छूट दी गई थी। हालांकि, ज्यादा आय वालों पर टैक्स बढ़ाया भी गया था।

साल 2014 के अंतरिम बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने टैक्स स्ट्रक्चर में कोई परिवर्तन न करने का ऐलान किया था। उन्होंने कोई बड़ी राहत भी नहीं दी थी। लेकिन साल 2009 के अंतरिम बजट में तब के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इनकम टैक्स स्लैब्स में बदलाव किया था। इसका मतलब है कि अगर सरकार चाहे तो अंतरिम बजट टैक्स संबंधी लाभों का ऐलान किया जा सकता है।

बजट से क्या चाहते हैं करदाता

अगर टैक्स स्लैब्स में बड़ा संशोधन न भी करें तो भी सीतारमण कुछ विशिष्ट मानकों की पेशकश कर सकती हैं। एक नौकरी करने वाले करदाता के लिए स्टैंडर्ड कटौती सबसे बेहतर होती है क्योंकि वह इस पर बिना कोई निवेश किए दावा कर सकते हैं। इसकी सीमा को बढ़ाने के लिए लंबे समय से मांग होती रही है। पिछले साल इसे इनकम टैक्स के फॉर्मेट का हिस्सा भी बना दिया गया था।

स्टैंडर्ड कटौती की सीमा बढ़ाने का फैसला मध्यम वर्ग को खुश करने का एक तेज और भरोसेमंद तरीका होगा। विशेषज्ञ भी यह कहते रहे हैं कि नौकरीपेशा मध्यम वर्ग असल मायनों में इस फायदे का हकदार है। महंगाई के बढ़ते असर को देखते हुए सरकार को स्टैंडर्ड कटौती में इजाफा जरूर करना चाहिए।

इन समस्याओं पर भी हो बात

वर्तमान में कोई करदाता अगर एडवांस टैक्स इंस्टॉलमेंट की आखिरी तारीख एक भी दिन के लिए मिस कर देता है तो उस पर तीन महीने का ब्याज लगता है। इस नियम को संबोधित करने की जरूरत है क्योंकि ब्याज समय से जु़ड़ा होता है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति एक या दो दिन की देरी भी कर देता है तो उस पर उतने समय का ही ब्याज लगना चाहिए। इससे सबसे ज्यादा समस्या मध्यम वर्ग को ही होती है।

एक और बिंदु जिस पर काम करने की जरूरत है वह कारोबारी और नौकरीपेशा लोगों के बीच होने वाला भेदभाव है। अगर किसी कारोबारी का टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से कम है और अगर उसकी 95 प्रतिशत बिजनेस रसीदें और भुगतान नॉन कैश मोड से तो उसे टैक्स ऑडिट से राहत मिलती है। वहीं, पेशेवरों या नौकरीपेशा लोगों के लिए यह सीमा महज 50 लाख रुपये है।

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Gaurav Pandey

First published on: Jan 11, 2024 09:17 PM

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