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3 अंकों का नंबर, रोज 3 लाख फोन कॉल…इस टेक्नोलॉजी से Indian Railway ने किया क्रांतिकारी बदलाव

GenAI Technology Usage in Indian Railways: भारतीय रेलवे ने GenAI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके अपनी सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव किया है। मल्टी लैंग्वेज सर्विस के साथ इस टेक्नोलॉजी ने रेलवे और यात्रियों दोनों का बहुत बड़ा फायदा किया है।

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Oct 23, 2024 13:05
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Indian Railways
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Indian Railways Using GenAI Technology: भारतीय रेलवे आज GenAI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके यात्रियों को बेहतरी सुविधाएं देने के लिए प्रयासरत है। इस टेक्नोलॉजी ने रेलवे की सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव किया है। आज रेलवे रियल टाइम में शिकायतों का समाधान करने में सक्षम है। किसी भी भाषा को बोलने वाले लोग रेलवे से संपर्क करके अपने सफर को सुगम और शानदार बना सकते हैं। रेलवे अपनी यात्री सुविधाओं को लचीला बनाने के लिए GenAI टेक्नोलॉजी के दायरे में लाकर सभी सुविधाओं को एक कर रहा है। भारतीय रेलवे का हेल्पलाइन नंबर 139 आज दुनिया की सबसे बड़ा सविर्स है, जिस पर रोजाना 3 लाख से ज्यादा कॉल आती हैं। पिछले एक साल में इसमें GenAI के कारण काफी बदलाव आया है।

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ऑटोमेटिक सिस्टम से चुटकियों में हल होती समस्याएं

आज यह कॉल सेंटर सिस्टम बेस्ड नहीं रह गया है, बल्कि ऑटोमेटिक सिस्टम बन चुका है, जिससे यात्री चुटकियों में अपनी समस्याओं का समाधान पा लेते हैं। रेलवे की इस हेल्पलाइन नंबर से अलग-अलग भाषाओं के लोग संपर्क कर सकते हैं। ट्रेन के आने जाने के समय, ट्रेन टिकट की पुष्टि और विभिन्न रूटों पर ट्रेन के टाइम टेबल से जुड़े सवालों के जवाब चुटकियों में ले सकते हैं। पहले प्रति मिनट 200 से ज्यादा कॉल आने के कारण अक्सर कॉल ड्रॉप होना और एजेंटों के लिए लंबा इंतजार करना आम बात थी, लेकिन नए ऑटोमेटिक सिस्टम ने इन समस्याओं को काफी हद तक हल कर दिया है। साथ ही रेलवे की इस सर्विस और ज्यादा स्पीडी बना दिया है। इसक रेलवे और यात्रियों दोनों का फायदा हुआ। रेलवे पर भरोसा बढ़ा, यात्रियों को सहूलियत हुई।

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सिस्टम में फीड की जाएंगी 2 और क्षेत्रीय भाषाएं

रेलवे के IVR सिस्टम के कंप्लेंट सेक्शन में हाल ही में एक नया बदलाव आया है, जो विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यात्री अब कोच के गंदे शौचालय, गायब बिस्तर या तत्काल चिकित्सा की जरूरत जैसी समस्याओं की शिकायत सहज भाषा में कर सकते हैं। सिस्टम उनका तुरंत समाधान करेगा। वर्तमान में यह सिस्टम हिंदी और अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध है। जल्दी ही इसमें तेलुगू और बंगाली को भी फीड कर दिया जाएगा। यह सिस्टम सुनिश्चित करता है कि शिकायतों को त्वरित समाधान के लिए तत्काल उपयुक्त रेलवे कर्मचारियों तक पहुंचाया जाए। GenAI से संचालित नया कंप्लेंट सिस्टम काफी प्रभावी है। यात्री अब अपने PNR नंबर के साथ अपनी समस्याएं जैसे मेरे डिब्बे में पानी नहीं है, बता सकते हैं और सिस्टम तुरंत शिकायत पर कार्रवाई करता है। संबंधित रेलवे कर्मचारियों को समय में सूचित किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि समस्या का समाधान अगले स्टेशन पर उपलब्ध हो जाए।

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GenAI ने क्षेत्रीय भाषाओं को लोकप्रिय बनाया

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, GenAI द्वारा संचालित और बेंगलुरु स्थित उबोना द्वारा विकसित इस सिस्टम ने रीजनल लैंग्वेज को काफी लोकप्रिय बनाया है। पहले रेलवे एजेंटों की भाषा हिंदी या अंग्रेजी में होती थीं। अब 58% कॉल हिंदी में हैं, जबकि मराठी, बंगाली और तेलुगु में भी यात्रियों से एजेंट बात करते हैं। अंग्रेजी का उपयोग बहुत कम है। रेलवे हेल्पलाइन सिस्टम में उबोना ने वॉयस रिकग्निशन, टेलीफोनी, पेमेंट और AI सिस्टम भी फीड किया है। इसका इस्तेमाल अब बैंक, बीमा कंपनियां और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी करते हैं, जिसमें ग्राहक की वेरिफिकेशन और कैश-ऑन-डिलीवरी मैनेजमेंट शामिल है। हेल्पलाइन 139 के अलावा, भारतीय रेलवे की टिकटिंग कंपनी IRCTC एक और हेल्पलाइन नंबर 14646 पर काम कर रही है, जिसे जल्दी ही लाइव होने की संभावना है।

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Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Oct 23, 2024 12:56 PM

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