Indian Govt Sell Atta Only Rs 27.50 per kg: खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों और त्यौहारी सीजन को देखते हुए भारत सरकार ने एक कदम उठाया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सभी जरूरी खाद्य पदार्थों की कीमतों को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इस प्रक्रिया के तहत सरकार का सबसे ज्यादा फोकस आटे पर है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार अब सब्सिडीयुक्त आटा 27.50 रुपये प्रति किलो की दर से बेचेगी।
कहां से खरीद सकते हैं ये आटा?
भारत आटा NAFED (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) और NCCF (नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) जैसी सहकारी संस्थाओं के माध्यम से ये आटा बेचेगी। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा इसका लाभ उठा सके। साथ ही महंगाई से निपटने के लिए सरकार ने आटे की कीमत 29.5 रुपये से घटाकर 27.5 रुपये प्रति किलोग्राम कर दी है।
माननीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री, श्री पीयूष गोयल जी 6 नवंबर को "भारत आटा" लॉन्च करेंगे। NAFED की यह पहल सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के भारत सरकार के उद्देश्य को पूरा करती है। साथ ही किफायती, पौष्टिक भोजन विकल्पों को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित… pic.twitter.com/u23Exmuaz4
— NAFED India (@nafedindia) November 6, 2023
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गेहूं-चावल के लिए खुला बाजार बिक्री योजना
ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) सरकारी पूल से आटा मिल मालिकों और छोटे व्यापारियों जैसे थोक खरीदारों को गेहूं व चावल बेचता है। यह साप्ताहिक ई-नीलामी प्रणाली इन वस्तुओं की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करके खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने में मदद करती है। एफसीआई की ओर से ई-नीलामी के 19वें दौर में 2,389 बोलीदाताओं (खरीदरों) को 2.87 लाख मीट्रिक टन गेहूं बेचा गया है।
मुफ्त खाद्यान्न कार्यक्रम का विस्तार
रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में सरकार के मुफ्त खाद्यान्न कार्यक्रम को पांच साल तक बढ़ाने का ऐलान किया था। इस योजना का लक्ष्य 80 करोड़ लोगों को अनाज की बढ़ती कीमतों से बचाना है। हालांकि, इस विस्तार कार्यक्रम को बनाए रखने के लिए सरकारी खर्च में वृद्धि और किसानों से गेहूं व चावल की खरीद की जरूरत होगी।
आमजन पर नहीं पड़ेगी महंगाई की मार,
मजबूत और प्रतिबद्ध है हमारी भारत सरकार।@PMOIndia@PiyushGoyal@jagograhakjago@AmitShah@AshwiniKChoubey#mehngaiseladaimeinsarkarkesaathsahakar #sarkarserasoitak #Nccfonionsale #nccf #nccfofindia #chanadal pic.twitter.com/WYhujm9n0m— NCCF of India Limited (@Nccf_India) November 6, 2023
सरकारी खर्चा और निर्यात पर प्रभाव
मुफ्त अनाज कार्यक्रम से सरकार पर सालाना करीब 2 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। साथ ही बता दें कि भारत दुनिया में गेहूं और चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत में पहले ही अनाजों के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया है। इन उपायों का उद्देश्य घरेलू कीमतों को स्थिर करना और आबादी के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना है।