भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा हाल ही मां बनने के बाद चर्चाओं में आ गई थीं. हालांकि इसके बाद अब वह अपने एक दूसरे फैसले के लिए काफी सुर्खियों में हैं और उनकी जमकर तारीफ हो रही है. दरअसल मां बनने के बाद उन्होंने एक सरकारी अस्पताल में ब्रेस्ट मिल्क दान कर दिया. वह रोज़ाना एक अस्पताल में जाकर ब्रेस्ट मिल्क दान कर रही थीं और इस तरह उन्होंने 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क दान कर दिया है. आखिर उन्होंने ऐसा किया क्यों?
ज्वाला गुट्टा साल 2021 में अभिनेता विष्णु विनोद से शादी की और इसके चार साल बाद वह मां बनीं. मां बनने के बाद वह अपने बच्चे को स्तनपान कराने के बाद बचा हुआ दूध अस्पताल को दान कर रही थीं. वह ऐसा पिछले चार महीने से कर रही थीं. यह दूध उन बच्चों को पिलाया जा रहा था, जिनकी मां नहीं थीं या जिनकी मां दूध नहीं पिला सकती थीं. इससे बहुत से बच्चों की ज़िंदगी बची है.
हालांकि यह पहली बार है जब कोई खिलाड़ी इस तरह आकर सामाजिक तौर पर कोई पहल शुरू की हो. डॉक्टर्स का मानना है कि बच्चों के लिए मां के दूध से बढ़कर कुछ नहीं होता. मां के दूध से उन्हें ताकत मिलती है, जिससे वह जीवित रह पाते हैं और फिर बड़े होते हैं. इतना ही नहीं, यह बच्चों को उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करता है. मां के दूध से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. ऐसे में बच्चों के लिए मां का दूध बहुत जरूरी होता है.
ज्वाला गुट्टा ने इसीलिए उन बच्चों की जान बचाने के लिए कदम बढ़ाया, जिनकी मां नहीं हैं या जिन बच्चों की माएं दूध नहीं पिला सकती हैं. ऐसे न जाने कितने बच्चों को मां के दूध की जरूरत पड़ती है लेकिन उन्हें मिल ही नहीं पाता. ऐसे में जब ज्वाला गुट्टा ने दूध दान किया तो कई बच्चों को इससे नई ज़िंदगी मिली होगी.
यह भी पढ़ें : फिजियोथैरेपिस्ट नाम के आगे नहीं लिख सकेंगे ‘डॉक्टर’, मंत्रालय ने IMA को लिखा पत्र
कौन हैं ज्वाला गुट्टा
ज्वाला गुट्टा भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी रही हैं, उन्होंने साल 2010 और 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड मेडल जीते हैं. उन्होंने श्रुति कुरियन के साथ कई राष्ट्रीय खिताब भी जीते. साल 2011 के बीडब्ल्यूएफ विश्व कप में कांस्य पदक और 2014 के थॉमस एंड उबेर कप में एक और कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है. अब उन्होंने एक बार फिर लोगों के दिल को छू लिया है क्योंकि उन्होंने एक ऐसा कदम आगे बढ़ाया है, जो अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर सकता है और हजारों बच्चों की जान बचा सकता है.