Indian army replacing animal transport fleet: भारतीय सेना में खच्चरों से सामान ले जाना अब इतिहास की बात होगी। सेना इनकी जगह अब ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ा रही है। यह खच्चर राशन, असला समेत सभी प्रकार का सेना का सामान बर्फ के पहाड़ों, खराब रास्तों से लेकर देश के सीमा क्षेत्रों में आवाजाही करते हैं। अब इन सामान को ले जाने में ड्रोन, अत्याधुनिक वाहनों का इस्तेमाल किया जाएगा। दरअसल, यह सब सेना के साल 2027 तक 12 लाख Manpower कम करने के प्लान के अंतर्गत है, जिसमें 1 लाख कर्मचारी भी शामिल हैं।
सेना के पुनर्गठन पर हो रहा है काम, लास्ट माइल कनेक्टिविटी में होगा सुधार
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पहले ही से पहाड़ी तोपखाने में खच्चरों की संख्या कम कर दी है और बाकी बचे साल 2025 तक रिटायर्ड कर दिए जाएंगे। जानकारी के अनुसार सेना में साल 2030 तक पशु परिवहन कंपनियों की संख्या में लगभग 70 फीसदी तक की कटौती की जानी है। सालों से यह खच्चर बॉर्डर इलाकों में सेना की ऐसी पोस्ट जहां आवाजाही का रास्ता नहीं है, उन पर कच्चे रास्तों से असला और अन्य सामान पहुंचाते आए हैं। अब धीरे-धीरे इनकी जगह ड्रोन लेते जा रहे हैं। नए वाहनों व ड्रोन से सेना में लास्ट माइल कनेक्टिविटी में सुधार आया है।
बॉर्डर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में मदद
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ड्रोन से लॉजिस्टिक्स ले जाने में बॉर्डर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा ऐसे रफ और ऑल टेरेन व्हीकल इस्तेमाल करने पर ज्यादा सामान लेकर जा सकते हैं। जानकारी के अनुसार सेना में राशन, असला और अन्य सप्लाई में लगे करीब 3300 खच्चर अगले कुछ सालों में सेवानिवृत कर दिए जाएंगे। इससे पहले हाल ही में सेना ने ऐसे 1500 खच्चरों को रिटायर किया है। जानकारी के अनुसार साल 2027 तक सेना के पुनर्गठन और ऑप्टिमाइजेशन का प्लान है। जिसमें कुल 12 लाख जनशक्ति (Manpower) कम करना है, इसमें 1 लाख कर्मचारी भी शामिल हैं।