Russia-India-China (RIC): भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कुछ दिन पहले चीन का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक की। तब जयशंकर की मुलाकात चीन के विदेश मंत्री वांग यी और रुस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से बातचीत हुई। इसके बाद से चीन का रुख कुछ नरम पड़ा हुआ है। हाल ही में रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको ने कहा है कि हम RIC फॉर्मेट की बहाली के पक्ष में हैं। कहा कि इस मामले में भारत और चीन से भी बात रहे हैं। आरआईसी सक्रिय होता दिख रहा है। हम उस स्तर तक जाएंगे जहां तीनों देशों के बीच बैठकें हो सकें।
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चीन है तैयार
गुरुवार को मामले में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि आरआईसी तीनों देशों के लिए फायदेमंद है। इसके अलावा तीनों देशों विश्व में शांति, सुरक्षा, स्थिरता और प्रगति को बनाए रखने में भी मदद कर सकता है। चीन इस सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए रूस और भारत से बातचीत करने को तैयार है।
क्या है RIC साझेदारी?
रूस-भारत-चीन (आरआईसी) की यह साझेदारी साल 1990 के दशक में शुरू हुई थी। रूस के तत्कालीन प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव ने इसकी पहल की थी। इस त्रिपक्षीय मंच का उद्देश्य प्रमुख गैर-पश्चिमी शक्तियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को मजबूत करना था। हालांकि कोरोना और आंतकी गतिविधियों के चलते यह मंच निष्क्रिय रहा। करीब 10 सालों से इस साझेदारी की कोई महत्वपूर्ण बैठक नहीं हुई।
भारत ने भी दिखाया सकारात्मक रुख
RIC पर रूस की अपील और चीन के समर्थन के बाद भारत ने भी सकारात्मक रुख अपनाया है। चीन की सहमति के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को कहा कि यह साझेदारी तीनों देशों को क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए काम करेगा। जायसवाल ने आरआईसी बैठक पर बताया कि तीनों देशों की सहमति से बैठक कार्यक्रम तय किया जाएगा।
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