INDIA Alliance Seat Sharing : देश में इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में हलचल तेज हो गई है। केंद्र की सत्ता से भाजपा को हटाने के लिए विपक्षी पार्टियां एकजुट हुई हैं, लेकिन अब उनमें ही आपसी सामंजस्य नहीं है। स्थिति यह है कि क्षेत्रीय पार्टियां अब कांग्रेस को दरकिनार करने में जुट गई हैं। इसका ताजा उदाहरण पश्चिम बंगाल और पंजाब है, जहां क्रमश: 42 और 13 लोकसभा सीटें हैं। 80 सीट वाले उत्तर प्रदेश में मायावती भी एकला चलो की राह पर चल पड़ी हैं। हालांकि, बसपा इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं है। इंडिया अलांयस में 135 लोकसभा सीटों पर पेंच फंसा हुआ है। आइये जानते हैं अब कांग्रेस के पास क्या रास्ता बचा है।
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पंजाब में कांग्रेस को न के बराबर सीटें मिलने की उम्मीद हैं। पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटें हैं और सीएम ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया है कि टीएमसी सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। ममता की नाराजगी का कारण क्या है? इसे लेकर कहा जा रहा है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पश्चिम बंगाल पहुंचने वाली है, लेकिन इसे लेकर कांग्रेस ने ममता बनर्जी को निमंत्रण नहीं दिया। दूसरी वजह सीट बंटवारे को लेकर है। ममता ने कांग्रेस को 2 सीट का ऑफर दिया है, लेकिन इसके लिए कांग्रेस तैयार नहीं है।
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पंजाब में अकेले चुनाव लड़ेगी आप
अगर पंजाब की बात करें तो यहां आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार है। आप ने कांग्रेस को हराकर सत्ता हासिल की है। इस पर आप ने पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि राज्य में हमारी पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी। पश्चिम बंगाल और अब पंजाब दोनों राज्यों में इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों ने कांग्रेस को सीट देने से मना कर दिया है।
यूपी में बसपा ने पैदा की चुनौती
उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं, यहां इंडिया गठबंधन के सामने बड़ी चुनौती है। सपा और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग पर चर्चा चल रही है, लेकिन इस बीच बसपा ने अकेले चुनाव की घोषणा करके सपा और कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है। कांग्रेस का मन था कि बसपा भी इंडिया गठबंधन में शामिल हो जाए, लेकिन मायावती ने गठबंधन करने से साफ मना कर दिया। ऐसे में यूपी में अखिलेश यादव ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं और कांग्रेस को कम सीट देना चाहते हैं।
कांग्रेस के पास सिर्फ दो विकल्प बचे
तीनों राज्यों में सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पा रही है। ऐसे में कांग्रेस के पास दो विकल्प हैं। पहला यह तो कांग्रेस क्षेत्रीय दलों की बात मान ले या फिर अकेले चुनाव लड़े। अगर कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया तो इंडिया गठबंधन टूट जाएगा। ऐसे में कांग्रेस को ललीचा रुख अपनाते हुए जो सीटें मिल रही हैं, उसपर ही संतोष करना पड़ सकता है। हालांकि, अब तो यह समय ही बताएगा कि कांग्रेस का रुख क्या है।