Article 370: जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म हुए 4 साल हो गए। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ विशेष दर्जा खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करने बैठी। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने पूछा कि अनुच्छेद 370 खुद ही अपने आप में अस्थाई और ट्रांजिशनल है। क्या संविधान सभा के अभाव में संसद इसे निरस्त नहीं कर सकती? इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से 370 को कभी हटाया नहीं जा सकता है। सिब्बल ने कहा कि अनुच्छेद 370 के मुताबिक, संसद केवल राज्य सरकार के परामर्श से जम्मू-कश्मीर के लिए कानून बना सकती है। इस अनुच्छेद को निरस्त करने का अधिकार हमेशा जम्मू-कश्मीर विधायिका के पास है।
"How can Article 370, which was a temporary provision become permanent…": SC asks petitioners
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18 बड़े वकील 60 घंटे तक देंगे दलील
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पहले दिन सुनवाई खत्म हो चुकी है। आगे भी जारी रहेगी। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के विरोध में 18 वकील, 60 घंटे बहस करेंगे। इसके अलावा अनुच्छेद 370 हटाने के समर्थक और सरकार के वकील भी अपना पक्ष रखेंगे। सुनवाई सप्ताह में तीन दिन यानी मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को होगी। बाकी दो दिन या यानी सोमवार और शुक्रवार जिसे सुप्रीम कोर्ट में मिसलेनियस डे कहा जाता है, नए मामलों की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट में एक दिन में साढ़े चार घंटे की सुनवाई होती है इस लिहाज से इस मामले पर सुनवाई कम से कम एक महीने चलेगी। उसके बाद कोर्ट फैसला सुरक्षित होगा। इतनी लम्बी सुनवाई के बाद जाहिर है जजमेंट लिखने में वक्त लगेगा।
अनुच्छेद 370 मामले पर सुनवाई से पहले याचिकाकर्ता पक्ष ने अपने वकीलों की लिस्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है। इन वकीलों में कपिल सिब्बल (10 घंटे), गोपाल सुब्रमण्यम (10 घंटे), राजीव धवन (2 घंटे), दुष्यंत दवे (4 घंटे), शेखर नाफड़े ((8 घंटे), दिनेश द्विवेदी (3 घंटे), ज़फर शाह (8 घंटे), सीयू सिंह (4 घंटे), संजय पारिख (2 घंटे), गोपाल शंकर नारायणन (3 घंटे 20 मिनट ) प्रशांतो चन्द्र सेन (3 घंटे), मेनका गुरुस्वामी (30 मिनट) नित्या रामकृष्णन (30 मिनट) मनीष तिवारी (15 मिनट) इरफान हफ़ीज़ लोन (10 मिनट) ,पीवी सुरेंद्र नाथ (30 मिनट), ज़हूर अहमद भट्ट (10 मिनट) शामिल हैं। इनके अलावा कुछ वकील जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाये जाने के पक्ष में भी अपनी दलील रखेंगे।
केंद्र ने दाखिल किया था हलफनामा
केंद्र सरकार ने 10 जुलाई को एक हलफनामा दायर कर कहा था कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहां पूरे क्षेत्र ने शांति, विकास, संपन्नता और स्थिरता आयी है। लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट के सामने विचार के लिए सिर्फ कानूनी विषय है कि विशेष राज्य का दर्जा हटाना संवैधानिक है या नहीं! इसके लिए हलफनामा की बातें प्रासंगिक नहीं हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 निरस्त कर दिया था और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू कश्मीर में बांट दिया था। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की वैधानिकता और कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है।
इनपुट- प्रभाकर मिश्र
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