New Labor Code: भारत सरकार ने देशभर के करीब 40 करोड़ से अधिक कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए बीते शुक्रवार लेबर कानूनों में बड़ा बदलाव किया. श्रम कानून के तहत आने वाले 29 कानूनों को अब चार लेबर कोड में विभाजित कर दिया गया है. जिसके तहत कर्मचारियों को एक साल की नौकरी में ग्रेच्युटी, ओवर टाइम पर दोगुनी सैलरी, महिलाओं को समान वेतन और हेल्थ चेकअप जैसी कई राहत देने वाले नियम लागू किए गए हैं. हालांकि इसके बावजूद देश के अलग-अलग हिस्सों में इस नए लेबर कोड का विरोध हो रहा है. कुछ मजदूर संगठनों का कहना है कि ये लेबर कोड कर्मचारियों के हित में नहीं, बल्कि मालिक या कंपनी के हित में है.
क्यों हो रहा नये लेबर कोड का विरोध?
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, विरोध के पीछे कई मजदूर संगठनों का यह मानना है कि यह कोड श्रमिकों के बजाय मालिकों के पक्ष में हैं और इससे कामगारों का शोषण बढ़ेगा. प्रमुख मजदूर संगठन जैसे इंटक, एटक, सीआईटीयू, और अन्य ने 26 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है. उनकी मुख्य चिंता यह है कि नया लेबर कोड श्रमिकों की नौकरी की सुरक्षा को कमजोर करता है और मालिकों को अधिक अधिकार देता है कि वे कर्मचारियों को बिना मजबूती के निकाल सकें. वे कहते हैं कि कोड में दिया गया ‘फिक्स्ड टर्म नौकरी’ मॉडल असल में नौकरी की अनिश्चितता को बढ़ावा देगा, क्योंकि इसे सेना की तरह सीमित अवधि वाली नौकरी के समान बनाया गया है.
यह भी पढ़ें: सैलरी, छंटनी, ओवरटाइम से लेकर ग्रेच्युटी तक… नए लेबर कोड को लेकर दूर करें अपने सभी कंफ्यूजन
कांग्रेस ने भी बोला तीखा हमला
विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस कोड पर तीखा हमला बोला है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह बदलाव कोई क्रांतिकारी सुधार नहीं है, बल्कि मजदूरों की मूल मांगों से दूर है. उन्होंने सवाल उठाए कि क्या यह कोड मनरेगा में 400 रुपये की न्यूनतम मजदूरी, ‘राइट टू हेल्थ’ जैसी योजनाएं, रोजगार गारंटी, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए सम्पूर्ण सोशल सिक्योरिटी या कॉन्ट्रैक्ट नौकरियों पर रोक सुनिश्चित कर पाएगा. उनका कहना है कि सरकार को कर्नाटक और राजस्थान की सफल गिग वर्कर रिफॉर्म से सीखना चाहिए, जिनहोंने मजदूरों के लिए बेहतर कानून बनाए.
नौकरी की गारंटी समाप्त…
हालांकि, ऐसे विरोध भी सामने आ रहे हैं कि इन कोडों के माध्यम से श्रमिकों की हड़ताल करने की क्षमता पर पाबंदी लगाई जा रही है, खासकर जब वे नौकरी से निकाले जाएं या उनकी पगार में कटौती हो. इंटक के जनरल सेक्रेटरी संजय सिंह बताते हैं कि नए कोड के तहत लाभ तभी मिलेंगे जब कोई कर्मचारी नौकरी में बना रहे. जबकि नौकरी की गारंटी समाप्त कर दी गई है, जो मजदूरों को असुरक्षित बनाता है. साथ ही ठेकेदारों को मजदूरों को शोषित करने की छूट मिलने का डर है. उनका आरोप है कि रात की शिफ्ट में महिलाओं से काम कराए जाने जैसे नियमों के खिलाफ कोई प्रावधान नहीं है.










